हेमंत शर्मा,इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में हुए बावड़ी हादसे के बाद नगर निगम ने बावड़ी और कुओं की जानकारी के लिए एप्लीकेशन बनाई है. एप्लीकेशन में 600 से ज्यादा कुएं और बावड़ियों की जानकारी उपलब्ध रहेगी. जीपीएस लोकेशन गूगल मैप पर बावड़ी और कुएं दिखाई जाएगी. आम लोगों की सतर्कता के लिए एप्लीकेशन बनाई गई है. भविष्य में बावड़ी से हादसे ना हो इसके लिए एप्लीकेशन कारगर साबित होगी.
दरअसल इंदौर में पिछले दिनों रामनवमी पर पटेल नगर स्थित महादेव बेलेश्वर मंदिर की बावड़ी हादसे में 36 लोगों की मौत के बाद नगर निगम की नींद अब खुली है. नगर निगम ने एक एप्लीकेशन तैयार किया है. जिसमें इंदौर की 600 से ज्यादा बावड़ियों की अब तक जानकारियां अपलोड की गई है. फिलहाल एप्लीकेशन को जोन वाइज सर्वे के लिए शुरू कर दिया गया है. कुछ समय बाद इसे आम पब्लिक के लिए चालू किया जाएगा. जिसमें इंदौर शहर में आने वाले लोग और शहरवासियों को बावड़ी की जानकारी गूगल मैप के माध्यम से मिल सकेगी.
जिससे हादसे का शिकार ना हो. इस मंशा से नगर निगम ने एप्लीकेशन बनाकर तैयार करवाई है. इंदौर की निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने बताया कि इंदौर में पिछले समय हुए बावड़ी हादसे के बाद इंदौर की सभी कुएं और बावड़ियों को चिन्हित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे. लगातार जोन वाइज वार्ड वाइज क्षेत्र में हुए और बावरियों की जानकारी जुटाई जा रही है. अब तक 600 से ज्यादा कुएं और बावरियों की जानकारी मिल चुकी है. फिलहाल और जानकारियां जुटाई जा रहे हैं.
गूगल मैप पर मिलेगी कुँए बावड़ी की जानकारी
निगमायुक्त ने बताया कि नई एप्लीकेशन के माध्यम से शहरवासियों को भी इंदौर में कहां कुँए बावड़ी है, किस स्थिति में है, यह सारी जानकारियां एप्लीकेशन के माध्यम से मिल सकेगी. अभी एप्लीकेशन पर डाटा अपलोडिंग का काम जारी है. डाटा अपलोडिंग पूरा होने के बाद आम लोगों के लिए एप्लीकेशन ओपन की जाएगी. आम लोग सतर्क रह सके, किसी हादसे का शिकार ना हो, इसके लिए एप्लीकेशन तैयार की गई है. एप्लीकेशन की समय-समय पर समीक्षा भी की जाएगी.
इंदौर में बावड़ी और कुओं का करवाया जाएगा टेक्निकल निरीक्षण
इंदौर में जल का स्त्रोत रहने वाली मुख्य कुँए और बावड़ियों को इंदौर नगर निगम रखरखाव का काम भी सुनिश्चित करेगा. इसके साथ ही उनको कैसे फिर से जल का स्त्रोत बनाया जा सकता है. इसको लेकर टेक्निकल टीम का गठन किया गया है.टीम मौके पर पहुंचकर चिन्हित करेगी. किस प्रकार से इन्हें फिर से जल स्त्रोत का साधन बनाया जा सके. इसके साथ ही जिन कुएं और बावड़ियों धार्मिक स्थल बने हुए हैं. उनके धर्म गुरुओं से बैठककर उन कुएं और बावरियों का कैसे रखरखाव सुनिश्चित किया जाए. जिससे हादसे ना हो इन सभी को लेकर मीटिंग कर कर रास्ता निकाला जाएगा.
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