टीवी एक्ट्रेस मीनल जैन का एक न्यूड वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और लोग इस वीडियो की तारीफ और आलोचना दोनों कर रहे हैं. तारीफ करने वालों का कहना है कि मीनल ने अच्छे उद्देश्य के लिए ये काम किया है तो आलोचना करने वाले यह दलील दे रहे हैं कि मीनल ने देश की सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ काम किया है.

क्या है वीडियो में ?

आखिर इस वीडियो में ऐसा क्या है कि इसकी जमकर चर्चा हो रही है. जबकि यह वीडियो एक साल पुराना है. दरअसल मीनल जैन पहली भारतीय बन गई हैं जिन्होंने लंदन में आयोजित न्यूड साईकिल रेस यानी वर्ल्ड नेकेड बाइक राइड यानी WNBR  में हिस्सा लिया है. किसी ने अभी सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल कर दी तो यह हंगामा मच गया.

ये है वो वीडियो

न्यूडिस्ट समुदाय से जुड़ी हैं मीनल

मीनल वर्ल्ड नेकेड बाइक राइड यानि WNBR में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय हैं. ब्रिटेन में रहने वाली अनिवासी भारतीय मीनल इस रेस का हिस्सा बनने से पहले से न्यूडिस्ट समुदाय से जुडी हैं. उनका अपना ब्लॉग भी है लेडी गोडिवा के नाम से, जो कि एक रोमन देवी के नाम पर है. इंटरनेट पर न्यूडिस्ट समुदाय के बीच मीनल एक जाना पहचाना नाम हैं.

कौन हैं न्यूडिस्ट

न्यूडिस्ट और नैचुरिस्ट उन लोगों का समुदाय है जो बिना कपड़ों के रहना पसंद करते हैं. इसके ज़रिये वो पर्यावरण को बचाने की कोशिश करने के साथ लैंगिकता और यौन अपराधों के प्रति अपना विरोध भी जताते हैं. इन समुदायों को बहुत से लोग नापसन्द करते हैं, लेकिन हर साल इन समुदायों की संख्या बढ़ती जा रही है. नग्नतावाद यानि न्यूडिज़्म को मानने वाले इस समुदाय को कई देशों में साधारण जनता के बराबर अधिकार मिले हैं और कुछ देशों में इन्हें एक निश्चित स्थान पर ही न्यूड रहने की इजाज़त है. इन समुदायों के विरोध की एक बड़ी वजह कल्चर से विरोधाभास है. लोग नग्नता को स्वीकार नहीं करते और समाज के ख़राब करने का आरोप लगाते हैं.

टेक्सास में न्यूडिस्ट बढ़ने से रेप के मामले केवल एक तिहाई रह गए

हालाँकि एक आंकड़े के अनुसार अमेरिका के टेक्सास में सत्तर के दशक में हर थाने में लगभग 3 हज़ार हिंसा के मामले हर साल दर्ज होते थे. दो दशक बाद जब वहां न्यूडिस्ट समुदाय में लोगों की गिनती बढ़ कर डेढ़ लाख से ऊपर पहुँच गयी तब यौन अपराध घट कर तिहाई रह गए. इसी काल में आबादी लगभग दुगनी हुई है वहां की.

क्या है न्यूडिस्टों की सोच

नग्नतावाद का एक लाइन की धारणा है – अगर आप बिना कपड़ों के सहज हैं तो वैसे ही रहिये. यानि सहज होना, स्वाभाविक होना महत्वपूर्ण है. शरीर, कपड़े जैसी चीज़ें दूसरे पायदान पर हैं. पहले पायदान पर किसी की स्वाभाविकता की इज़्ज़त करना है. उसके आप किसी के व्यवहार उसकी सोच की इज़्जत नहीं कर पा रहे हैं तो उसके कपड़ों और शरीर की इज़्ज़त करने का कोई औचित्य नहीं है.