शशिकांत डिक्सेना, कटघोरा। कटघोरा अधिवक्ता संघ की बैठक में कटघोरा को जिले का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव पारित किया. इसके साथ 4 जनवरी को कोरबा प्रवास पर आ रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर मांग को रखने का निर्णय लिया.

अधिवक्ताओं ने बैठक में कटघोरा को जिले का दर्जा दिलाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से कार्य करने की रणनीति पर अपने विचार साझा किए. इस दौरान कटघोरा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर मिश्रा, उपाध्यक्ष धन्नू दुबे, सचिव पवन जायसवाल, कोषाध्यक्ष संतोष जायसवाल, सुभाष दत्ता, भरत पांडेय, अरविंद गोभिल, सुरेंद्र गिर, अशोक गौरहा, भुवनेश्वर डिक्सेना, शिवगोपाल, रामपाल देवांगन, राजेश पाल, नरेश गुप्ता, नरेश साहू, शिवशंकर भारती, राकेश जायसवाल, संजय जायसवाल, रामशंकर जायसवाल, देवेंद्र जायसवाल, शेहरा परवीन, कनकरेखा साहू, संतोषी गोस्वामी समेत एसोसिएशन के सभी सदस्य अधिवक्ता मौजूद रहे.

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुधीर मिश्रा ने बताया कि क्षेत्र की ये मांग वर्षों पुरानी है. जिला मुख्यालय नहीं होने के चलते कटघोरावासियों को अनेक समस्याओं से आए दिन जूझना पड़ता है. यही वजह है जो जनता के हक की मांग को लेकर आवाज बुलंद करने की जरूरत महसूस की जा रही. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश से मुलाकात कर मांग सौंपे जाने के दौरान प्रतिनिधिमंडल के साथ कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर एवं पाली-तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा साथ रहेंगे.

राजस्व में सक्षम पर विकास में उपेक्षित

कटघोरा अधिवक्ता संघ में 110 सदस्य हैं, जिनमें करीब 80 से अधिक सदस्यों ने बैठक में मौजूदगी दर्ज कराते हुए निर्णय पर अपनी सहमति दी है. अध्यक्ष मिश्रा ने बताया कि कटघोरा सबसे पुरानी तहसील है. तब के दौर में बिलासपुर संभाग के अंतर्गत पांच तहसीलें थीं, जिसमें कटघोरा एक था. एनटीपीसी जैसे केंद्रीय उपक्रम व एसईसीएल की कोयला खदानों से समृद्ध कटघोरा के पास राजस्व प्राप्ति के स्वयं के पर्याप्त स्त्रोत मौजूद हैं, लेकिन विकास के मामले में उसे हमेशा से उपेक्षित रहना पड़ा है. कई क्षेत्र कोरबा मुख्यालय से 100 से 150 किलोमीटर दूर हैं, जिसके चलते जनता को कई प्रकार की परेशानी होती है.