कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं ने शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों एवं न्यायालयों के परिसर में सर्वधर्म-स्थल स्थापित करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि यदि ऐसा संभव न हो तो फिर धर्म विशेष के स्थलों को हटाने के लिए उचित कार्रवाई की जाए। जबलपुर निवासी अधिवक्ता रूपसिंह मरावी व मधुसूदन कुर्मी ने इस सिलसिले में राष्ट्रपति, राज्यपाल, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग भोपाल को पत्र भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि, हमारा भारत एक धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है जिसमें सभी धर्म, पंथ एवं संप्रदाय के लोग निवास करते हैं एवं सभी को अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार पूजा-पाठ एवं अपने ईष्ट की सेवा करने का समान अधिकार प्राप्त है। यह देखा गया है कि सभी शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों एवं न्यायालयों में उनकों मानने वाले लोगों को ही उन स्थलों में पूजा-पाठ करने का अधिकार है। भारत देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विभिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए लोक परिसरों में अन्य विचारधारा एवं पंथ धार्मिक स्थलों की स्थापना कर उनके आस्था एवं भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
अतः निवेदन है कि सभी शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों और न्यायालयों लोक परिसरों में विभिन्न धर्मो, पंथों और संप्रदायों के धार्मिक स्थल स्थापित किए जाने के लिए उचित निर्देश जारी करने की कृपा करें। साथ ही वर्तमान में स्थापित धार्मिक स्थलों पर समाज के सभी वर्गों के लोगों को पुजारी और पुरोहित नियुक्त्ति हेतु उनके जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर अवसर देने की कृपा करें। लेटर के आखिर में कहा गया है कि यदि यह मांग पूरी करना संभव न हो तो किसी विशेष धर्म के धार्मिक स्थल को शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों और न्यायालयों परिसरों से हटाए जाने के लिए उचित निर्देश जारी करने की कृपा करें। जिससे कि संविधान के मूलभूत ढांचे की धर्मनिर्पेक्ष भावना का परिपालन हो सके। इस पत्र की प्रतिलिपियां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, बामसेफ, पिछड़ा समाज पार्टी यूनाईटेड और जय आदिवासी युवा शक्ति (जयश) पार्टी इंदौर को भी भेजी गई हैं।
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