भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आम जनता को अंतरिम बजट पेश होने के बाद पहली मौद्रिक समीक्षा नीति का एलान करते हुए बड़ा तोहफा दे दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में तीन तक चली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है.

  • कर्ज लेना होगा सस्ता

आरबीआई के इस कदम से आम जनता को कर्ज लेना सस्ता पड़ेगा. इससे सभी तरह के कर्ज लेना शामिल हैं. 28 जनवरी को सरकारी बैंकों के साथ बैठक में शक्तिकांत दास ने इस बात के संकेत दिए थे, बैठक के बाद आर्थिक जगत ने उम्मीद जताई है कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है. इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते दिसंबर में घटकर 2.19 फीसदी पर आ गई है, जो कि डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है.

  • बैंकों को पीसीए से निकालना प्राथकिता

एनपीए के बोझ तले दबे सरकारी बैंकों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. आरबीआई ने 11 सरकारी बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत रखा था जिन पर नए कर्ज बांटने और शाखाएं खोलने पर रोक लगा दी गई थी. सरकार और आरबीआई की प्राथमिकता है कि इन बैंकों को जल्द से जल्द पीसीए से बाहर निकाला जाए. इसके लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के साथ सरकार संकट में फंसे बैंकों को पूंजी भी उपलब्ध करा रही है और उम्मीद है कि जल्द चार-पांच बैंक पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर आ जाएं.

  • महंगाई पर मिली राहत

थोक और महंगाई के हालिया आंकड़े देखने के बाद एमपीसी अपने रुख में बदलाव कर सकती है. खुदरा महंगाई दिसंबर में 18 माह के निचले स्तर 2.19 फीसदी और थोक महंगाई आठ माह के निचले स्तर 3.80 फीसदी पर पहुंच गई है.  यह लगातार पांचवां महीना था जब खुदरा महंगाई आरबीआई के अनुमानित लक्ष्य 4 फीसदी से नीचे रही है. रिपोर्ट में कहा गया कि 7 फरवरी को एमपीसी की चालू वित्त वर्ष में छठी बैठक होनी है, जो नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला करते समय खुदरा महंगाई को ध्यान में रखती है.