पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। बिटिया का बालिका व्रत रश्म को पूरा कराने समाज ने 8 साल पहले खोई जिस मां का क्रियाकर्म करवाया था, आज उसे जब बेटे सकुशल घर लेकर पहुंचे तो देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. 10 दिन पहले सोशल मीडिया में वीडियो के वायरल होने के बाद बेटे मां की तलाश में निकले थे.

दिल को छू लेने वाला यह मामला देवभोग से 4 किमी दूर स्थीत ग्राम गोहेकेला का है. पीडब्ल्यूडी कर्मी बलभद्र नागेश की 65 वर्षीय मां मरूवा नागेश मनोरोग से जूझ रही थी. 2011 में ही गांव छोड़ कर कहीं भी चली जाती थी, पर परिवार के सदस्य उसे एक दो दिन में ढूंढ लाते थे, पर जून 2013 में जब घर से निकली तो महीने भर के मशक्कत के बाद भी परिजन ढूढ़ नहीं सके थे.

इसी साल जून महीने में भारी बारिश के चलते बाढ़ आया था. रिश्तेदार व ग्रामीण महिला के बाढ़ की चपेट में आ जाने की अंदेशा जाहिर करते रहे, पर बेटों का दिल कभी नहीं माना. आखिरकार 8 साल के इंतजार के बाद आज उनकी मां घर लौट कर आ गई. बुजुर्ग की वापसी की खबर गांव में फैली तो सुबह से लोगों की भीड़ देखने व कुशलता लेने लग गई. दूरदराज में रहने वाले परिजनों के आने का भी सिलसिला शुरू हो गया. ऐसे मौके पर बलभद्र व उसके छोटे भाई योगेंद्र के आंखों में खुशी के आँसू छलक रहे थे.

10 दिन पहले वायरल हुआ था वीडियो

10 दिन पहले एक वृद्ध महिला का फोटो-वीडियो फेसबुक व वाट्सएप में वायरल हुआ, जिसमें वृद्ध गोहेकेला गांव का जिक्र कर रही थी. ओड़िसा से जारी इस वीडियो में बनाने वाले ने वीडियो को शेयर कर परिजनों तक पहुंचाने की अपील भी की थी. आखिरकार वीडियो छोटे बेटे योगेंद्र के वाट्सएप पर आया, तो वह देखते ही मां को पहचान लिया. वीडियो को बलांगीर जिले के कीर्तन मण्डली के गुरु चैमन सिंह ने मंगलवार को गोहेकेला मे अपने परिचित के पास भेजा था, जिसके जरिये योगेंद्र तक पहुंचा था.

आंगनबाड़ियों में काम कर कर रही थी गुजारा

बेटे मां को ढूंढते हुए बलांगीर जिले के बोगोमुड़ा ब्लॉक पहुंचे, जहां वीडियो दिखाकर ढूंढने का प्रयास किया. वीडियो ब्लॉक के साहसपानी गांव के आंगनबाड़ी भवन के पास बना था, लेकिन वहां मां नहीं मिली. दो दिन पहले ही वह 6 किमी दूर साहसपाड़ा गांव चली गई थी, जहां ग्रामीणों के सहयोग से आंगनबाड़ियों में काम कर खाना-पीना व गुजारा हो रहा था. योगेन्द्र ने बताया कि आसपास के 7-8 गांव को लोग मां को पहचानते थे, जब उनके लेने की खबर लोगों को हुई तो उन्होंने खुशी का इजहार करते हुए मां को विदाई दी.

बेटी के व्रत के लिए किया था मां का क्रियाकर्म

बलभद्र ने बताया कि फरवरी 2020 में 10 वर्षीय बेटी सविता का बालिका व्रत विवाह किया गया. सामाजिक नियम के मुताबिक इस कार्यक्रम में समाज के लोग तभी शामिल होते जब मां का क्रियाक्रम करता, क्योंकि सभी लोग मां को मरा हुआ मान लिए थे, लेकिन हमारा मन नहीं मानता था, इसलिए उसका कभी क्रियाक्रम नहीं करवाया था. बैठक में यह तय किया गया कि जब तक क्रियाक्रम नहीं होगा, तब तक व्रत विवाह में समाज शामिल नहीं होगा. मजबूरी के चलते पूरे नियम से मुंडन संस्कार समेत अन्य क्रियाक्रम के सामाजिक नियम का पालन किया गया था.

बेटी के जवान होने के पहले होता है बालिका व्रत विवाह

इलाके में तीन-चार समाज में बालिका व्रत विवाह की वर्षों पुरानी परम्परा है. स्थानीय भाषा में इसे कोणाबेरा कहते हैं, जो पूरी विवाह की तरह होता है. तेल-हल्दी से लेकर मड़वा नाच व सगे सम्बन्धी व समाज को बुलाकर एक विवाह की तरह ही भोज का आयोजन किया जाता है. बेटी की मंगल कामना के लिए उसका विवाह प्रतीकात्मक रूप से महुए के पेड़ से कराया जाता है.