पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। गरियाबंद में सुपेबेड़ा के बाद अब गोहेकेला में किडनी की बीमारी से बड़े पैमाने पर मौतें होने का मामला सामने आया है. मौत का सिलसिला सालभर से जारी है. दर्जनों मरीज अभी भी किडनी रोग से पीड़ित हैं. ताज्जुब की बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी.
बता दें कि गरियाबंद के सुपेबेड़ा में ही किडनी की बीमारी से 56 लोगों ने अपनी जान असमय ही गंवाई है. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी भी करीब 200 मरीज़ किडनी के रोगों के हैं. यहां के लोग पहले से ही किडनी रोगों से आतंकित थे. ऊपर से अब सुपेबेड़ा से महज़ 10 किलोमीटर दूर के गांव गोहेकेला में भी किडनी के रोग से लोग मर रहे हैं.
गोहेकेला के लोगों का कहना है कि सुपेबेडा की तरह ही यहां के लोगों ने भी कभी छत्तीसगढ़ में अपना इलाज नहीं कराया, बल्कि जैसे ही गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़ा, तो उसे इलाज के लिए ओडिशा ले जाया गया. इसलिए स्थानीय स्तर पर यहां की मौतों और बीमारी से प्रभावित लोगों के बारे में किसी को पता ही नहीं चला.
इधर मीडिया ने जैसे ही गोहेकेला के बारे में छानबीन करनी शुरू कर दी, तो स्वास्थ्य विभाग तुरंत हरकत में आ गया. विभाग का अमला तत्काल गांव में पहुंचा. 70 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए, जिनमें से 12 लोग किडनी डिजीज से पीड़ित पाए गए हैं. इस बात की पुष्टि बीएमओ देवभोग डॉ सुनील भारती ने की.
मामले पर राजनीति शुरू
अब मामला सामने आने के साथ ही सुपेबेड़ा की तरह गोहेकेला को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है. विपक्षी पार्टी के नेताओं के गांव पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. कांग्रेस नेता संजय नेताम और देवभोग ब्लॉक अध्यक्ष सुखबंच बेसरा सबसे पहले गांव पहुंचे और वहां के हालात के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. दोनों ही नेताओं ने सरकार के कामकाज पर जमकर निशाना साधा. साथ ही गोहेकेला के लोगों के इलाज के लिए धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करने की चेतावनी दी.