पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। पहले तो गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में ही किडनी रोग से पीड़ित मरीज़ अपनी जान गंवा रहे थे. लेकिन अब यहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोहेकेला गांव में भी किडनी रोग फैलता जा रहा है. यहां कल निरंजन यादव नाम के किडनी रोग से पीड़ित मरीज़ ने दम तोड़ दिया. इसके साथ ही गोहेकेला में सालभर में किडनी डिजीज से मरनेवाले लोगों का आंकड़ा 7 पर पहुंच गया.
45 वर्षीय मृतक निरंजन यादव ने रायपुर के मेकाहारा में अपना इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वो वापस अपने गांव गोहेकेला लौट आया था और इन दिनों इसका इलाज ओडिशा के धरमगढ़ में हो रहा था.
गौरतलब है कि सुपेबेड़ा में अब तक 50 से ज्यादा किडनी डिजीज से पीड़ित मरीज़ जान गंवा चुके हैं. सुपेबेड़ा और गोहेकेला दोनों गांवों में 200 से ज्यादा किडनी रोग के मरीज़ हैं. इसे लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर भी है. कल पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने सीएम रमन सिंह को लिखी खुली चिट्ठी में कहा कि मुख्यमंत्री को ट्यूबवेल का पानी मीठा लगा, तो क्या सुपेबेड़ा में किसी दिन अचानक जाकर रमन सिंह वहां का पानी पीकर दिखाएंगे, जहां किडनी रोग से लगातार लोगों की मौतें हो रही हैं.
इधर निरंजन यादव की मौत के बाद एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है. देवभोग के बीएमओ डॉ सुनील भारती ने एक बार फिर गांव में कैंप लगाने की बात कही है. वहीं इस मौत से गांव के लोगों में दहशत है. ग्रामीणों ने राजधानी के सबसे बड़े मेकाहारा अस्पताल की कार्यशैली और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर आक्रोश ज़ाहिर किया है.