देवजीत देवनाथ, पखांजूर. नक्सली संगठन के शीर्ष नेता वेणुगोपाल ऊर्फ भूपति ने आत्मसमर्पण करने के बाद अपने सक्रिय साथियों से हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया है. भूपति ने बयान जारी कर कहा है कि हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. आंदोलन के नाम पर जो हिंसा की जा रही है, उसका सबसे बड़ा खामियाजा उन निर्दोष ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है, जिनके नाम पर यह लड़ाई लड़ने का दावा किया जाता था.

भूपति ने अपने बयान में यह भी स्वीकार किया है कि संगठन के भीतर वैचारिक संकट गहराता जा रहा है. उनका कहना है कि अब समय है आत्ममंथन का, न कि बंदूक उठाने का. बदलाव की लड़ाई अब जनता के साथ मिलकर लोकतांत्रिक तरीकों से लड़ी जानी चाहिए.

सुरक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम को नक्सल आंदोलन की सबसे बड़ी वैचारिक दरार के रूप में देख रही है. उनका मानना है कि नक्सली नेतृत्व की यह अंतर्कलह और आत्ममंथन की प्रवृत्ति आने वाले महीनों में संगठन को भीतर से कमजोर कर सकती है.

वेणुगोपाल पर 7 करोड़ से अधिक का घोषित था इनाम

बता दें कि हाल ही में वेणुगोपाल राव ने अपने 60 साथियों के साथ सरेंडर किया था. वह सीपीआई (माओवादी) के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय पोलित ब्यूरो का सदस्य था और गढ़चिराैली में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रभार संभालता था. वह संगठन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का भी नेतृत्व करता था, जो महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के घने जंगलों से संचालित होता है. सुरक्षा बलों के मुताबिक वेणुगोपाल राव ने कई हाई-प्रोफाइल हमलों की साजिश रची थी, जिनमें 2010 का दंतेवाड़ा सीआरपीएफ हमला शामिल है, जिसमें 76 जवान शहीद हुए थे. उसके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सुरक्षा बलों पर हमला और आगजनी समेत कई मामले दर्ज थे. महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में वेणुगोपाल पर 7 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था.