नई दिल्ली. रांची में एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले मामले में लालू प्रसाद यादव दोषी ठहराया जाने के बाद बिहार में सियासत गर्मा गई है. इस मामले को लेकर बिहार में राष्ट्रीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी पर सवाल उठाया है.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि लालू साल 1996 से यह जंग लड़ रहे हैं, यह तब शुरु हुई, जब बीजेपी के नेताओं ने पटना हाईकोर्ट में इस मामले में एक जनहित याचिका डाली थी. वो और उनके वकील इस केस को लड़ने में सक्ष्म है. मैं बीजेपी के लोगों से यह पूछना चाहता हूं कि सृजन घोटाला में अभी तक जांच क्यों नहीं हुई है?

कांग्रेस और आरजेडी के आरोपो का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने कहा कि लालू कोर्ट के फैसले का मनाने के बजाए, राजनीति पर उतर आए है. मुद्दे से भटकाने के लिए भाजपा पर साजिश का आरोप लगा रहे हैं.” उन्होंने आगे कांग्रेस और आरजेडी के गठजोड़ पर निशाना साधते हुए कहा अदालत के फैसले से स्पष्ट है कि कांग्रेस और लालू यादव की पार्टी के बीच भ्रष्टाचार, मिलीभगत और भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का गठबंधन है.

वही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि इस घोटाले में गरीबों और आदिवासियों का हक मारा गया था, और उनको कोर्ट से दोषी करार दिया जाने से संतोष हुआ है. लालू यादव के साथ ही प्रसाद ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘2 जी मामले और दूसरे मामले में आए कोर्ट के फैसले से कुछ लोग खुश हो रहे हैं. लेकिन कहना चाहूंगा कि जो लोग हार में जीत देख रहे हैं वो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रह् हैं।’

इससे पहले शनिवार को रांची में एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले मामले में अपने फैसला सुनाया, इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत अन्य आरोपी शामिल थे. जिसमें कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव समेत 15 लोगों को दोषी ठहराया है, इन सभी लोगों को कोर्ट 3 जनवरी को सजा सुनाएगी. जबकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को चारा घोटाले मामले में बरी कर दिया गया है.

क्या था चारा घोटला?
साल 1991 से लेकर 1994 के बीच देवघर कोषागार से 95 लाख रुपये निकल लिए थे. जिस वक्त यह घोटला हुआ, उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री लालू थे. हालांकि पूरे घोटाले की रकम लगभग 950 करोड़ थी. कुल मिलाकर इस केस में 34 अभियुक्त थे, जिनमें से 11 की मौत मुकदमे के दौरान हो गई थी और एक अभियुक्त ने अपना जुर्म कबूल करके सीबीआई का गवाह बन गया था.