प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. जिले में पिकअप हादसे के बाद पुलिस जहां एक ओर पिकअप गाड़ियों में सवार लोगों पर कार्रवाई कर अब वाहवाही लूट रही है. वहीं पुलिस के जवान हमेशा इसी तरीके से मालवाहक गाड़ी में एक जगह से दूसरी जगह जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं, क्या पुलिस के इन जवानों की जान की परवाह शासन-प्रशासन को नहीं है.

दरअसला सेमरहा गांव में पिकअप में सवार होकर तेंदूपत्ता तोड़ने गए 19 मजदूरों की सड़क हादसे में मौत हो गई. वहीं इसी गांव में जवान ड्यूटी के लिए पिकअप में सवार होकर पहुंचे हैं. चिंता की बात तो तब है जब हमने इस गाड़ी का पेपर चेक किया तो हमें पता चला कि जिस गाड़ी पर ये जवान सवार हैं उस गाड़ी का बीमा लगभग 1 साल पहले ही एक्सपायर हो गया है.

एक तरफ घटना के बाद पुलिस प्रशासन, परिवाहन विभाग की टीम ने जिले के सीमावर्ती क्षेत्र और शहरों में पिकअप वाहन में सवार ढो रहे उन गाड़ियों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन जवान जब ड्यूटी में जाते हैं और आते हैं तो इन्ही पिकअप में सवार होकर आ जा रहे हैं. यानी जवानों की जान की कीमत शासन-प्रशासन को नहीं है.

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