जशपुर. बुटंगा गांव में पत्थरगड़ी तोड़े जाने के बाद ग्रामीणों के आक्रोश से पुलिस और प्रशासन सकते में है. कल आक्रोशित ग्रामीणों ने एडिशनल एसपी उनैजा खातून,एसडीओपी पद्मश्री तंवर , बगीचा एसडीएम हितेश बघेल , प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर चेतन साहू को बंधक बना लिया था. इन अधिकारियों को पुलिस ने रिहा करा लिया है. एसपी प्रशांत ठाकुर ने बताया कि फिलहाल हालात काबू में है. फिलहाल इस गाँव में स्थिति प्रशासनिक नियंत्रणमें है. अधिकारियों के बंधक बनाए जाने की खबरों के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आ गई और स्थिति पर कलेक्टर और सरगुजा आईजी के निर्देश पर एसपी ने रिहा कराने का कदम उठाया. ऐहतियातन आसपास के दूसरे जिलों से भी पुलिस बल को बुलाया गया है.

पत्थरगड़ी के बहाने सियासत

पत्थरगड़ी को लेकर कांग्रेस जहां सरकार पर हमले पर हमले बोल रही है, वहीं भाजपा केन्द्रीय मंत्री विष्णदेव साय की अगुवाई में इस इलाके में पदयात्रा निकाल कर इसका जवाब दे रही है . वहीं पत्थरगड़ी तोड़ने के बाद भड़का ग्रामीणों का गुस्सा इशारा कर रहा है कि ये विवाद इतनी जल्दी थमने वाला नहीं है. कांग्रेस का आरोप हैा कि 17 फरवरी को भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने जशपुर जिले के घोरगढ़ी गांव में इसका आगाज किया था. अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय ने इस दौरान संविधान की 5 वीं अनुसूची का हवाला दिया था. और इस तरह यहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने की बात शुरू हुई.    

क्या है पत्थरगड़ी ?

आदिवासी जनजीवन के बारे में जानने वाले लोगों का दावा है कि हजारों साल पुरानी परंपरा है पत्थरगड़ी. इस तरह शिला गड़ाकर आदिवासी समाज जमीन पर अपना हक जताता रहा है. इस तरह की ट्राइबव परंपरा के प्रमाण भारत ही नही अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया , दक्षिण अमेरिकी देशों में भी मिलती है.