दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने सभी पुलिस अधिकारियों को अदालतों में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए सर्कुलर जारी किया है। यह आदेश उपराज्यपाल के पिछले महीने जारी नोटिफिकेशन के खिलाफ वकीलों की हड़ताल के बाद आया है। एलजी ने 28 अगस्त को पुलिस को थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य देने की अनुमति दी थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि पुलिस की गवाही संबंधी नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी गई है। पुलिस मुख्यालय ने बयान में कहा कि ऑल बार कोऑर्डिनेशन कमेटी का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेगा और सभी पक्षों की बात सुनने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

दिल्ली के ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने इस संबंध में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल को पत्र लिखा और प्रतिनिधित्व किया। वहीं, नई दिल्ली बार एसोसिएशन ने 28 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री के प्रतिनिधि से मुलाकात के बाद जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल निलंबित करने की घोषणा की थी। एनडीबीए सचिव तरुण राणा ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा स्पष्ट किया गया कि नोटिफिकेशन सभी हितधारकों की बात सुनने के बाद लागू होगा।
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क्यों हुई थी वकीलों की हड़ताल: LG के आदेश पर उठा विवाद
दिल्ली में वकीलों की हड़ताल उस समय शुरू हुई जब 4 सितंबर को उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस आदेश के तहत पुलिस अधिकारियों को अदालतों में गवाही देने के लिए वर्चुअल तरीके से पेश होने की छूट दी गई थी। वकीलों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि वर्चुअल गवाही से न्यायिक प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा। अदालतों में गवाह की मौजूदगी से जिरह करना आसान होता है और पारदर्शिता बनी रहती है। वकीलों का तर्क था कि वर्चुअल गवाही न्याय प्रणाली को कमजोर करेगी और अभियुक्तों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रभावित हो सकता है।
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एलजी के आदेश के बाद वकीलों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। इसके चलते दिल्ली की जिला अदालतों में कामकाज ठप हो गया और कई अहम मामलों की सुनवाई टल गई। इस दौरान बार एसोसिएशन और वकीलों का प्रतिनिधिमंडल लगातार उपराज्यपाल और पुलिस अधिकारियों से बातचीत करता रहा। वकीलों ने साफ चेतावनी दी थी कि अगर नोटिफिकेशन वापस नहीं लिया गया तो हड़ताल जारी रहेगी।
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