शिवा यादव,दोरनापाल. जगरगुंडा को भले ही उप तहसील का दर्जा प्राप्त हो. मगर यहां का जीवन पिछले 13 वर्षों से कम कठिनाई भरा नही रहा है. सलवा जुडूम जैसे अभियान के बाद से ही यहां जीवन कटीले तारों के बीच उलझ कर रह गया था. राशन भी 6 महीनों में बड़े ही सुरक्षा के बीच प्रशासन पहुंचा पाती थी.

कोई समय था जब जगरगुंडा की खुशहाली किसी पहचान की मोहताज नही हुआ करती थी. मगर नक्सलवाद ने सब तबाह कर दिया. बड़ी मुश्किल से 12 वर्ष में एक बस चली जिसे नक्सलियो ने आग के हवाले कर दिया.  10 वर्षो बाद सप्ताहिक बाजार शुरू हुई तो उसे भी बंद करवा दिया . जिसके कारण यहां के ग्रामीण हमेशा से ही मुख्य धारा से कटे रहे थे.

मगर शासन प्रशासन की मेहनत से अब जगरगुंडा फिर से पटरी में लौटती दिख रहा है. करीब 13 वर्षों बाद जगरगुंडा दुबारा रोशन हुआ. तो मानो जगरगुंडा वासियों के लिए किसी दीपावली से कम नहीं था.आपको बता दें कि इस गांव के लोग पिछले 13 सालों से बिना बिजली के रह रहे थे. लेकिन अाज घर में बिजली पहुंचते ही पूरे गांव में खुशी का माहौल है. यहां बिजली नहीं होने के कारण संचार से कोसों दूर चले गए थे. लेकिन अब बिजली आने से ग्रामीणों के अंदर एक नया विश्वास जगा है.

 अभिषेक मीणा ने पोस्ट कर दिया बधाई

जगरगुंडा तक किसी भी सुविधा पहचाना कितनी बड़ी चुनौती है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. कि खुद जिले के एसपी ने व्हाट्सएप पर पोस्ट डाल कर खुशी जताई है.  कभी ये गांव एक सामान्य गांव की तरह होता था. लेकिन पैर पसारते नक्सलवाद ने यहां कि विकास में रुकावट पैदा कर दी था. लेकिन शासन प्रशासन की कड़ी मेहनत के बावजूद अब यहां स्थितियां सामान्य होती जा रही हैं. और धीरे-धीरे गांव में अन्य सुविधाएं भी पहुंच रही हैं.