रायपुर। तमाम गतिरोध, अदालती खींचतान के बीच आखिरकार अग्रवाल सभा के अध्यक्ष पद के लिए मतदान के जरिए चुनाव पर मुहर लग गई है. रविवार को हुए आमसभा में मतदान के लिए 11 सितंबर की तारीख का ऐलान किया गया. चुनाव की प्रक्रिया 29 अगस्त से शुरू हो जाएगी.

अग्रवाल सभा के प्रतिष्ठित अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर बीते कुछ अर्से से समाज के भीतर दो फाड़ हो गए थे. मामला रजिस्ट्रार के साथ-साथ अदालत तक गया. लेकिन रविवार को अग्रसेन धाम में हुए आमसभा में समाज के भीतर मतदान के जरिए चुनाव को लेकर सहमति नजर आई. आमसभा में चुनाव अधिकारी डॉ. राजेश खेमका और उनके सहायक रमेश चंद्र अग्रवाल और सीए गोपाल अग्रवाल ने सदस्यों के बीच अध्यक्ष पद का चुनाव सर्वसम्मति के साथ किए जाने की बात कही. इस पर कुछ सदस्यों ने जहां सहमति जताई, तो वहीं कुछ सदस्य सहमत नहीं हुए. आखिर में इस बात का निर्णय हुआ कि अध्यक्ष पद का चुनाव मतदान के जरिए होना चाहिए.

विषय पर गहन चर्चा के बाद चुनाव अधिकारी ने चुनाव का ऐलान करते हुए बताया कि 11 सितंबर को अध्यक्ष पद का चुनाव होगा. इसके लिए 29 से 31 अगस्त के बीच इच्छुक सदस्य नामांकन दाखिल कर सकते हैं. 31 अगस्त को नामांकनों की जांच के बाद प्रत्याशियों की सूची का प्रकाशन किया जाएगा. एक सितंबर को नाम वापसी के साथ शाम 5 बजे प्रत्याशियों की अंतिम सूची का प्रकाशन होगा. चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों के पास दस दिन का समय होगा. एक से ज्यादा नाम आने पर 11 सितंबर को मतदान होगा.

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चुनाव का बहिष्कार करने वाले भी पहुंचे

जानकारी के अनुसार, अग्रवाल सभा की आमसभा में वे लोग भी मौजूद थे, जिन्होंने अखबारों में चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया था. समाज के करीबन 700-800 महिला-पुरुष सदस्यों की मौजूदगी में शांतिपूर्ण माहौल में आमसभा का आयोजन हुआ. इस दौरान समाज के पूर्व अध्यक्ष और संरक्षक सुरेश गोयल, जगदीश प्रसाद अग्रवाल, सियाराम अग्रवाल, रामानंद अग्रवाल, रतन लाल अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, हनुमान प्रसाद अग्रवाल, विजय अग्रवाल, राजकुमारी अग्रवाल, किरण अग्रवाल, ममता अग्रवाल, एडवोकेट प्रिया अग्रवाल के अलावा मोहल्ला समिति से संयोजक और सहसंयोजक मौजूद थे.

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पूरी हुई समाज की मांग

अग्रवाल सभा के महामंत्री विजय अग्रवाल ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में बताया कि अदालत और रजिस्ट्रार के समक्ष हुई तमाम कवायदों के बाद आखिरकार आमसभा में समाज के सदस्यों की भावनाओं को ध्यान रखते हुए उचित फैसला लिया गया है. परिवर्तन से किसी को परहेज नहीं होना चाहिए और इसे सकारात्मक दृष्टि से लिया जाना चाहिए. आमसभा में तमाम विरोधों के बावजूद तमाम पदाधिकारियों व सदस्यों की उपस्थिति बेहतर संकेत हैं.

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