नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर जमे किसानों के प्रतिनिधि मंडल के साथ सरकार की पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. किसान जहां कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर अड़े रहे, वहीं सरकार जरूरत के मुताबिक कानून में संशोधन की बात कहती रही. इस बेनतीजा बैठक के अंत में 9 दिसंबर को फिर बैठक करने का फैसला लिया गया.

किसानों और सरकार के बीच पांचवें दौर की जिस बातचीत को सुबह तक निर्णायक बताया जा रहा था, उसमें भी आखिर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका. करीबन पौने पांच घंटे चली इस बैठक में एक तरफ किसान पूरी तरह से कानूनों को रद्द करने की बात कह रहे थे, उनकी सरकार के कानूनों के संशोधन के प्रस्ताव पर राजी नहीं थे. बैठक में चर्चा के दौरान एक वक्त ऐसा आ गया जब किसान नेता हाथ में कानून को रद्द किए जाने पर केवल दो उत्तर – हां या ना – में जवाब की मांग को लेकर तख्ती लेकर बैठ गए. स्थिति को देखते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल बाहर निकल गए.

सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है. हम पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं. अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है. हम हिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे. इंटेलिजेंस ब्यूरो आपको सूचित करेगा कि हम विरोध स्थल पर क्या कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते हैं. इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं. किसानों की मांग है कि सरकार अपना लिखित फैसला भेजे.