रायपुर। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना क्रमांक 459 को लेकर प्रदेश में सियासत गरमाई हुई है. वन अधिकार से जुड़े इस अधिनियम को वापस लेने विधानसभा में शासकीय संकल्प पारित हो चुका है. इसके बाद अब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश तिवारी ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को पत्र लिखकर अधिसूचना को लागू होने से रोकने अपने विशेषाधिकार के उपयोग करने का आग्रह किया है.
एआईसीसी सचिव राजेश तिवारी ने अपने पत्र में राष्ट्रपति और राज्यपाल को आदिवासी वर्ग का संरक्षक बताते हुए कहा कि स्वयं आदिवासी वर्ग से आने की वजह से उनकी पीड़ा का एहसास अवश्य होगा. अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के हितों के विपरीत केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 जून 2022 को अधिसूचना क्रमांक 459 जारी किया है, इसमें एक तरफ केन्द्र सरकार द्वारा गठित कमेटी में तीन अशासकीय विशेषज्ञ सदस्य नियुक्त करने का प्रावधान है, वहीं दूसरी ओर परियोजना जांच समिति के गठन करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया है, लेकिन उसमें किसी भी विशेषज्ञ अशासकीय सदस्यों को रखने का प्रावधान नहीं किया गया है.
इसके अलावा नए नियम पेसा कानून एवं वन अधिकार अधिनियम 2006 का भी उल्लघंन है. जिससे आदिवासी वर्ग के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा एवं उनके मूलभूत अधिकार समाप्त हो जाएगी. ऐसे में संविधान की पांचवी अनुसूची में राज्यपाल को मिले अधिकारी का उपयोग करते हुए इस संबंध में राष्ट्रपति को जानकारी देने के साथ अधिसूचना को प्रदेश में लागू होने से रोकने का कष्ट करें.
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