सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी के खिलाफ अपने एक कर्मचारी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किये जाने के मामले में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है. राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में छजकां ने मामले की जांच राज्य की पुलिस के बजाय न्यायिक मजिस्ट्रेट या सीबीआई से कराने की मांग की है.
अपराध दर्ज होने के बाद शनिवार को अजीत जोगी ने सागौन बंगले स्थित अपने निवास में प्रेसवार्ता लेकर जोगी परिवार को फर्जी मामलों में फंसाने की कोशिश किये जाने का आरोप लगाया है. आजीत जोगी ने कहा कि पिछले 16 वर्षों से भाजपा और कांग्रेस ने एक ही परिवार को प्रताड़ित किया है. क्योंकि दोनों पार्टियां नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया परिवार अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो. उन्होंने कहा कि रमन सरकार द्वारा अजित जोगी और अमित जोगी पर फर्जी हत्या, सीडी, चिट्टी, जाति और डकैती को लेकर फंसाया गया, वर्तमान भुपेश सरकार द्वारा फिर से फर्जी सीडी, जाति और जन्म स्थान को लेकर बेतुके मामले दर्ज करा कर फंसाने की कोशिश की गई है.
अजीत जोगी ने कहा कि बिलासपुर में जो घर मेरे नाम से अंकित है उसमें हममें से कोई उपस्थित नहीं था. अज्ञात कारणों से आत्महत्या कर ली, उसको किसी ने डांटा ना मारा न ही चोट के निशान उसके शरीर पर पाए गए. फिर भी एफआईआर मेरे और अमित जोगी पर दर्ज किया गया, कहा गया कि हमने आत्महत्या करने में उसे प्रेरित किया. धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया गया. जोगी ने आरोप लगाया कि बिलासपुर में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के दबाव में 17 जनवरी 2020 की देर रात 2 बजे बिलासपर के सिविल लाइन थाने में बिना किसी प्रमाण और प्रारम्भिक जाँच के, मात्र एक शिकायत को आधार बताकर FIR क्रमांक 31/2020 दर्ज कर दी गई. हमें एफआईआर की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.
जोगी ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि हमें विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सत्ता पार्टी के नेता और महाधिवक्ता, बिलासपुर के पुलिस कप्तान से मिलीभगत करके बयान लेने, साक्ष्य जुटाने और पोस्टमार्टम जैसी विवेचना की गंभीर प्रक्रियाओं को गैर कानूनी रूप से प्रभावित करने के दुष्प्रयास में भिड़ चुके हैं.
उन्होंने कहा किलगातार जोगी परिवार को लक्षय बनाया जा रहा है. जोगी परिवार ना भाजपा की सरकार को रास आया ना ही भुपेश सरकार को आया, हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि एफआईआर तो हो चुकी है लेकिन इसकी जांच राज्य सरकार ना करे. इसकी जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट करे या फिर सीबीआई करे.