रायपुर. उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को आज रद्द कर दिया. जिसके बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की ओर से एक विज्ञप्ति जारी की गई है जिसमें लिखा गया है कि ”जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ एवं उसके संस्थापक अध्यक्ष अजीत जोगी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते है. उत्तर प्रदेश के एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को शासकीय बंगला खाली करने का निर्णय दिया है.
रायपुर सिविल लाइंस का अपना सरकारी बंगला स्थित सागौन बंगला पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को आवंटित है. साथ ही उस निवास में लगातार तीन बार से निर्वाचित वरिष्ठ विधायक डॉ रेणु जोगी व लगातार दो बार से निर्वाचित विधायक अमित जोगी भी निवास करते है. ये दोनो वरिष्ठ विधायक भी शासकीय बंगला प्राप्त करने की अहिर्ता रखते है”.
बातदे कि अजीत जोगी को उनके मुख्यमंत्री कार के दौरान सागौन बंगला दिया गया था. लेकिन उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी उनसे यह बंगला खाली नहीं कराया गया. लेकिन अब जिस तरह से उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को रद्द कर दिया. इस निर्णय के बाद अजीत जोगी ने सरकारी बंगले में रहने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने वाले कानूनी संशोधन को आज रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में संशोधन संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है क्योंकि यह संविधान के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. पीठ ने कहा कि यह संशोधन ”मनमाना, भेद-भाव करने वाला’’ और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है.
न्यायालय ने कहा कि एक बार कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद छोड़ देता है तो उसमें और आम नागरिक में कोई अंतर नहीं रह जाता. शीर्ष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कानून में किये गए संशोधन को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन की याचिका पर अपना फैसला 19 अप्रैल के सुरक्षित रख लिया था.
न्यायालय ने पहले कहा था कि एनजीओ लोक प्रहरी ने जिस प्रावधान को चुनौती दी है, अगर उसे अवैध करार दिया जाता है तो अन्य राज्यों में मौजूद समान कानून भी चुनौती की जद में आ जाएंगे.
एनजीओ ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) कानून, 1981 में किये गये संशोधन को चुनौती दी थी. याचिका में न्यास, पत्रकारों, राजनीतिक दलों, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, न्यायिक अधिकारियों तथा सरकारी अफसरों को आवास आवंटित करने वाले कानून को भी चुनौती दी गयी है.
अदालत के इस आदेश के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घर छोड़ना होगा. इस समय प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, एनडी तिवारी आदि के पास सरकारी बंगला है. न्यायालय के इस आदेश से इन नेताओं का प्रभावित होना तय है क्योंकि इन लोगों ने अपने सरकारी बंगले में अतिरिक्त निर्माण भी करवा रखे हैं. यह सभी बंगले राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके में स्थित हैं.