लखनऊ. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. इस बार उन्होंने मुनाफाखोरी और चंदाखोरी को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश ने सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए तंज कसा. उन्होंने कहा कि भाजपा महंगाई की चैंपियन है. अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट साझा कर सरकार पर हमला बोला है.

उन्होंने लिखा कि ‘भाजपा सरकार पहले ‘मुनाफाखोरी’ घटाए और ‘भाजपाई चंदाखोरी’ मिटाए फिर महंगाई घटाने की बात करे. खाद्य तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को घटाने का फायदा जनता को भी मिलना चाहिए. न कि केवल घरेलू उत्पादकों को. लागत घट रही है तो खुदरा मूल्य भी घटना चाहिए. कहीं ऐसा तो नहीं कि ये दिखावटी आयात शुल्क कटौती बस कुछ खास आयातकों और उत्पादकों के फायदे के लिए ही हैं, जनता के लिए नहीं. चलो इससे ये बात तो साबित हुई कि भाजपा सरकार ने मान लिया है कि बेतहाशा महंगाई ने जनता की कमर तोड़ रखी है और अब अगर इस रिकॉर्ड तोड़ महंगाई को नहीं रोका गया तो जनता भाजपाइयों के घर के बाहर तेल के खाली डिब्बे बजाने लगेगी.’
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चंदा वसूली बंद कर दे भाजपा तो सब ठीक हो जाए- अखिलेश
अखिलेश ने आगे लिखा ‘भाजपा सरकार खाद्य सामग्री की लागत-लाभ के अनुपात को तार्किक रूप से जनता के पक्ष में तय कर दे मतलब जनहित में ये फैसला ले कि एक निश्चित प्रतिशत से ज्यादा कोई भी खाद्य उत्पादक मुनाफा नहीं कमाएगा, लेकिन इसके लिए पहले भाजपा सरकार को ये भी कसम खानी पड़ेगी कि वो कम-से-कम खाद्य कंपनियों से तो ‘भाजपाई चंदा वसूली’ नहीं करेगी. क्योंकि भाजपा जब कंपनियों से चंदा वसूलती है तब कंपनियां उस चंदा वसूली के पैसों को लागत का हिस्सा मानकर जनता से ही वसूलती है. हर टैक्स और चंदा आखिरकार जनता से ही वसूला जाता है. इसीलिए ‘भाजपाई चंदा’, टैक्स के अलावा जनता पर भाजपा की दोहरी मार बनता है और महंगाई का कारण भी. अब तो अर्थशास्त्रियों को विक्रय मूल्य में ‘भाजपाई चंदा वसूली’ को भी जोड़ने का नया गणितीय फार्मूला बना लेना चाहिए. भाजपा अपनी चंदा वसूली बंद कर दे तो हर वस्तु और सेवा के दाम वैसे ही कम हो जाएंगे.’
गरीब की थाली से तेल गायब हो जाएगा- अखिलेश
सपा मुखिया ने आगे कहा कि ‘दाम बंदी’ भाजपा की कारोबारी मानसिकता में दरअसल कभी नहीं रही है. महंगाई पर नियंत्रण के लिए जनता की भलाई करनेवाली नीयत और इच्छाशक्ति जरूरी होती है, जो भ्रष्टाचार के लक्ष्य की पूर्ति के लिए हासिल की गई भाजपा जैसी मुनाफाखोर सत्ता के पास कभी नहीं होती है. इसीलिए आयात शुल्क घटे और जनता के लिए वस्तुओं के दाम भी घटें, तब ही ऐसी घोषणाओं का फायदा है. अब देखना ये है कि कुछ दिनों बाद खाद्य तेलों के दाम गिरने की खबरें आती भी हैं या नहीं या फिर गरीब की थाली से तेल ही गायब हो जाएगा.’
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