लखनऊ. वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर अखिलेश यादव ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि ‘वक़्फ बोर्ड’ का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है. रक्षा, रेल, नज़ूल लैंड की तरह जमीन बेचना निशाना है.

आगे अखिलेश यादव ने कहा कि वक़्फ बोर्ड की जमीनें, डिफ़ेंस लैंड, रेल लैंड, नज़ूल लैंड के बाद ‘भाजपाइयों के लाभार्थ योजना’ की शृंखला की एक और कड़ी मात्र हैं. भाजपा क्यों नहीं खुलकर लिख देती ‘भाजपाई-हित में जारी’. इस बात की लिखकर गारंटी दी जाए कि वक़्फ बोर्ड की जमीनें बेची नहीं जाएंगी.

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि भाजपा रियल स्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है. उसे अपने नाम में ‘जनता’ के स्थान पर ‘जमीन’ लिखकर नया नामकरण कर देना चाहिए भारतीय जमीन पार्टी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि नहीं चाहिए भाजपा.

क्या है पूरे विवाद की वजह

इस बिल को लेकर विवाद का सबसे बड़ी वजह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं. इनके बीच तालमेल के लिए केंद्र सरकार के अल्पसंयख्क मामलों के मंत्रालय की ओर से सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया गया. यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है. वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की मंजूरी दी गई है. देश के कुल वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल आठ लाख एकड़ जमीन है. साल 2009 में यह संपत्ति 4 लाख एकड़ हुआ करती थी. इन जमीनों में ज्यादातर हिस्सों में मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान हैं. अचल सपंत्ति के लिहाज से देखा जाए तो वक्फ बोर्ड देश में रेल व सेना के बाद तीसरे सबसे बड़े जमीन के मालिक हैं.