राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अखिलेश यादव ने सरकार और विभागीय मंत्री ब्रजेश पाठक पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह पटरी से उतर गई हैं. डिप्टी सीएम की नजर अपने विभाग के बजाय मुख्यमंत्री जी की कुर्सी पर होने की वजह से हर तरफ मनमानी और बदहाली दिखाई दे रही है. अचरज तो यह है कि उनकी सरकार में बिना खून निकाले रिपोर्ट देने का तरीका भी खोज लिया गया है. कानपुर में दो सीएमओ एक कुर्सी पर झगड़ पड़े तो पुलिस बुलानी पड़ गई. डीसीएम साहब अपनी नाकामी छुपाने के लिए छापेबाजी करके बैठ जाते हैं. असर कुछ होता नहीं है.
सपा प्रमुख ने कहा कि अभी पिछले दिनों डिप्टी साहब गोंडा के मेडिकल कॉलेज गए जहां हर तरफ अव्यवस्था थी. अस्पताल में डॉक्टर जींस-टीशर्ट में थे. मरीजों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को चादर भी नहीं मिलती है. घर की शाल और कम्बल बिछाकर मरीज लेटे दिखाई पड़े. मंत्री जी ने फटकार तो बहुत लगाई पर उनके 37 मिनट के दौरे के बाद कुछ भी नहीं बदला अस्पताल अपने ढर्रे पर आ गया. झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में जमीन पर बैठे मरीज को ड्रिप चढ़ाए जाने का दृष्य सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुका है. जगदीशपुर अमेठी में इकलौता ट्रामासेंटर कहने भर को इमर्जेंसी सेवाएं देने के लिए है जबकि यहां प्राथमिक उपचार की भी सही व्यवस्था नहीं है.
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अखिलेश ने कहा कि उरई ट्रामा सेंटर में घंटों मरीजों को इलाज नहीं मिलने की शिकायते हैं तो पीलीभीत ओर फतेहपुर मेडिकल कॉलेज में भी इलाज की सुविधा नहीं है. हद तो तब हो गई जब हमीरपुर के जिला अस्पताल में बोतल चढ़ा मरीज को पैदल ही वार्ड में भेज दिया गया. हांफते कांपते पहुंचे मरीज की वार्ड में जाते ही सांसे थम गई। ये तो कुछ नमूने है. खुद राजधानी लखनऊ में भी स्वास्थ्य सेवाओं की दशा ठीक नहीं कही जा सकती है. वेंटिलेटर होते हुए भी मरीजों की जाने जाती है. बेड होते हुए भी मरीज स्ट्रेचर पर इलाज कराते हैं. गंभीर मरीजों को भी एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर करने का खेल बंद नहीं हो रहा है. चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी है और महंगी मशीने जंग खा रही हैं. गलत इलाज से आए दिन मौतें होने पर हंगामा हो रहा है. मरीजों से पैसो की खुली लूट होने से लोग परेशान हैं.
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