अमेठी. समाजवादी पार्टी के दो विधायक और मजबूत संगठन के बावजूद भी निकाय चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ हो गया. एक सीट को छोड़कर सपा प्रत्याशी कही भी मुख्य मुकाबले में भी नहीं दिखाई दिए. ऐसे में दो माह पूर्व अखिलेश यादव के उस बयान को बड़ा झटका लगा है, जिसमें उन्होंने अमेठी से लोकसभा प्रत्याशी उतारने की बात कही थी.

जिले में निकाय चुनाव के परिणाम में जहां बीजेपी अपने पुराने रिकॉर्ड को बनाए रखा वही सपा पूरी तरह से अमेठी में साफ हो गई. निकाय चुनाव में आए परिणामों को गौर करें तो इस बार गौरीगंज नगर पालिका के अलावा कहीं मुख्य मूलबाले में भी नही दिखाई दी. अमेठी नगर पंचायत पर जहां पार्टी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर चले गए वही जायस में सपा चौथे स्थान पर पहुंच गई. वहीं मुसाफिर खाना में पार्टी को नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए प्रत्याशी ही नहीं उतार पाई. जबकि जिले में गौरीगंज और अमेठी सीट पर पार्टी के विधायक भी है.

तीन बार चुनाव हारे कांग्रेसी नेता की पत्नी पर सपा ने लगाया था दांव

अमेठी नगर पंचायत की बात किया जाय तो यहां सपा को अपनी पार्टी से उम्मीदवार नहीं मिले. जबकि यहां पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महराजी देवी सपा से विधायक है. यहां पार्टी ने तीन बार चुनाव हार चुके कांग्रेस नेता लईक हवरी की पत्नी जमीरूल को सायकिल पर बैठा कर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लडने भेज दिया. पार्टी के कुछ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की यहां स्थानीय विधायक महराजी देवी की राय प्रत्याशी उतारने में नही ली गई. लिहाजा मुख्य मुकाबले में मानी जाने वाली सपा के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर चले गए. सपा प्रत्याशी ने चुनाव में मात खाने के बाद शोशल मिडिया पर भड़ास निकालते हुए लिखा की मैं गायत्री प्रसाद प्रजापति नही हूं. जो इतना पैसा दे दूं कि लोग स्विट्जरलैंड घूम आए उसी पैसे से, और मैं अपने पैसे से मुंबई और अमेठी आता जाता हूं.
हराम के पैसे से नहीं.

मुस्लिम मतदाताओं ने भी सपा का छोड़ दिया साथ

जबकि अमेठी में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाले वार्डों में भी सपा की सायकिल रेस नही भर पाई. लिहाजा यहां सपा प्रत्याशी तीसरे स्थान खिसक कर पहुंच गई. यहां बीजेपी ने एक बार पुनः इतिहास रचते हुए नगर में कमल खिला दिया. बीजेपी ने वार्ड सदस्य के लिए दो मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. दोनों प्रत्याशी जीत दर्ज कराते हुए मुस्लिम मतदाताओं वाले वार्ड में कमल खिला दिए.

जिला अध्यक्ष के घर में सपा ने खाली कर दिया था मैदान

वहीं नगर पंचायत मुसाफिरखाना की बात की जाए तो समाजवादी पार्टी को नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए यज्ञ प्रत्याशी तक नहीं मिला. यहां सपा ने मैदान खाली कर दिया. गौरतलब पहलू यह है कि मुसाफिरखाना नगर पंचायत के पास ही सपा के जिला अध्यक्ष राम उदित यादव का घर भी है. ऐसे में पार्टी द्वारा प्रत्याशी ना उतारने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में काफी मायूसी देखने को मिली. यहां बीजेपी ने जीत दर्ज कराते हुए नगर में कमल खिला दिया. वहीं निर्दली प्रत्याशी फिरोज खान रन के रूप में संघर्ष करते रहे.

इसे भी पढ़ें – ‘BJP सरकार अपनी बेईमानी का दे रही सबूत’, अखिलेश यादव ने कही ये बड़ी बात…

बीजेपी की जीत ने सपा विधायक के वर्चस्व लगा दिया सवाल

जिला मुख्यालय स्थित नगर पालिका गौरीगंज में समाजवादी पार्टी की तारा देवी बीजेपी प्रत्याशी से लगभग इक्कीस सौ वोटों से पीछे रही. जबकि इस सीट पर इसके पूर्व सपा का ही चेयर मैन था. इस सीट पर सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह का दबदबा माना जाता है. ऐसे में सपा प्रत्याशी की इतनी लंबी हार सपा के लिए शुभ संकेत नहीं है. यहां बीजेपी की रश्मि सिंह ने कमल खिला कर भारी मतों से जीत दर्ज कराई. यह सीट चुनाव के दौरान काफी चर्चा में रही. मतदान के एक दिन पूर्व ही सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी के पति से अपनी जान का खतरा बताते हुए कोतवाली में धरना पर बैठ गए. सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह का कोतवाली के अंदर बीजेपी नेता की पिटाई करते एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ.

जायस में मुख्य मुकाबले से भी दूर रहा सपा कैंडिडेट

वहीं नगर पालिका जायस में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी दूर-दूर तक लड़ाई में नहीं दिखे. यहां मुख्य मुकाबले में बीजेपी की प्रत्याशी रही. यहां लंबे अरसे बाद कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन लिया. इस सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी तादात में है. ऐसे में समाजवादी पार्टी की निकाय चुनाव में करारी हार हुई. जबकि विधान सभा चुनाव में यहां सपा मुख्य मुकाबले थी.

दो माह पूर्व ही अखिलेश ने लोकसभा में प्रत्याशी उतारने का किया था एलान

आपको बताते चलें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दो माह पूर्व अमेठी दौरे पर आए थे. जहां उन्होंने अमेठी से आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी उतारने की बात कही थी. निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार से उनके बयान को बड़ा झटका लगा है. राजनीतिक गलियारे में सपा की हार की चर्चा तेजी से हो रही है. फिलहाल चुनाव परिणामों पर समाजवादी पार्टी की तरफ से कोई नेता बोलने को तैयार नहीं है. सपा जिला अध्यक्ष राम उदित यादव से भी बात करने का प्रयास किया गया. उन्होंने भी इस विषय पर कुछ बोलना मुनासिब नहीं समझा.