हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और कई त्योहारों में महिलाओं के पैरों में आलता लगाने का विशेष महत्व है. इतनी ही नहीं इसे शादी-विवाह के दौरान भी लगाना बेहद जरूरी होता है. सोलह श्रृंगार में आलता को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. वहीं कुछ महिलाएं पूजा-पाठ और त्योहार के साथ-साथ सामान्य दिन में भी अपने पैरों में आलता लगाती हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हर दिन की अपनी एक विशेष मान्यता होती है. इसलिए कई ऐसे दिन भी हैं, जिसमें महिलाओं को अपने पैरों में आलता नहीं लगाना नहीं चाहिए. इससे अशुभ माना जाता है. आइए जानते हैं पैरों में आलता लगाने के नियम.

इस दिन न लगाएं पैरों में आलता

आलता लगाने के दौरान दिन का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. मंगलवार के दिन पैरों में आलता नहीं लगाना चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है. इस दिन पैरों में आलता लगाने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. इसलिए इस बात का खास ध्यान रखें. 

सौभाग्य का प्रतीक है आलता

सोलह श्रृंगार में आलता को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. सुहागिन महिलाओं के लिए आलता लगाना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इसके बिना श्रृंगार भी अधूरा माना जाता है. इसी कारण सभी त्योहारों और पूजा-पाठ में आलता पैरों में विशेष रूप से लगाई जाती है.

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके न लगाएं आलता

कुछ महिलाएं किसी भी दिशा में बैठकर आलता लगाती हैं, लेकिन ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार आलता कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके नहीं लगाना चाहिए. इस दौरान दिशा के बारे में ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

कन्याएं भी लगा सकती हैं पैरों में आलता

आलता को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. इसी कारण कन्या पूजन में कुंवारी कन्याओं को पैरों में आलता लगाना बेहद शुभ होता है. कई स्थानों पर बेटी के जन्म के बाद ही गृहप्रवेश के समय कुंवारी कन्याओं के पैरों में आलता लगाकर घर में उनकी छाप लगाई जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन हो.

आलता लगाने का महत्व

आलता को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इसे लगाने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है. साथ ही वैवाहिक जीवन में चल रही सभी परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है.