रायपुर। शराब घोटाले में पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री और उनके करीबियों की स्थिति को देखते हुए साय सरकार अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. अब छत्तीसगढ़ सरकार शराब की बोतलों में लगने वाले होलोग्राम की छपाई नासिक के नोट प्रिंटिंग प्रेस में करा रही है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है.

बता दें कि पिछली सरकार में हुए 3200 करोड़ के शराब घोटाले में नकली होलोग्राम का मामला भी शामिल था. इस वजह से इस बार छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग ने होलोग्राम को लेकर पूरा सिस्टम ही बदल दिया है. छत्तीसगढ़ में बिकने वाली हर शराब की बोतल में नासिक से प्रिंट होकर आए होलोग्राम ही लगाए जा रहे हैं. इसे सात लेयर में सीधे बनाया जाता है. यानी इस होलोग्राम का डुप्लीकेट बन ही नहीं सकता है. कोई भी नकली होलोग्राम बनाने की कोशिश करता है, तो उसे आसानी से पकड़ा जा सकता है.
एक साल में करीब 75 करोड़ रुपए होलोग्राम बनाने में खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन ये पैसा सरकार को नहीं देना पड़ता है. छत्तीसगढ़ में बॉटलिंग का काम करने वाली कंपनियां अपने ऑर्डर के अनुसार पहले ही होलोग्राम का पैसा सरकार के पास जमा कर देती है. बाद में यही पैसा सरकार नासिक प्रिंट वालों को देती है. नासिक के नोट प्रिंटिंग प्रेस में शराब के होलोग्राम स्टिकर को प्रिंट कराने का काम आसान नहीं था.
टेंडर का खत्म किया सिस्टम
पिछली कांग्रेस सरकार में होलोग्राम के लिए टेंडर निकाला जाता था. इसमें जमकर गड़बड़ी की जाती थी. अफसरों, राजनेताओं और कारोबारियों का सिंडिकेट उसी कंपनी को टेंडर दिलाते जिनसे उनकी सेटिंग होती थी. इस वजह से वे अपनी मर्जी से नकली और असली होलोग्राम प्रिंट करवा लेते थे. अब ये सिस्टम ही खत्म कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग सीधे केंद्र सरकार की कंपनी को होलोग्राम प्रिंट करने का ऑर्डर देती है. जितनी छपाई करानी है उतना ही भुगतान किया जाता है. न कोई टेंडर किया जाता और न ही किसी दूसरी कंपनी से बात की जाती है.
केवल चार जगहों पर ही होती है सुरक्षित छपाई
भारत में नोटों की छपाई कड़ी सुरक्षा में केवल चार जगहों पर नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्यप्रदेश), मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में ही होती है.. इनमें 2 प्रेस (नासिक और देवास) भारत सरकार और दो प्रेस (मैसूर और सालबोनी) आरबीआई की देखरेख में संचालित होती हैं.
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