रायपुर। देश के 13वें राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का सोमवार शाम 84 साल की उम्र में निधन हो गया है. प्रणब मुखर्जी पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके दिमाग में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद से ही वो अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे. इस दौरान वो कोरोना संक्रमित भी पाए गए थे. उनके निधन की जानकारी बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर दी है. प्रणब मुखर्जी के निधन की खबर के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. उनका जाना एक युग का अंत है. प्रणब मुखर्जी ने देश की सेवा की, आज उनके जाने पर पूरा देश दुखी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया. पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे. जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है. प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में योगदान दिया. वह एक शानदार सांसद थे, जो हमेशा पूरी तैयारी के साथ जवाब देते थे.

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जो देश की प्रगति में महत्वपूर्ण आधारस्तंभ बनें. वे एक कुशल प्रशासक और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. उन्होंने वित मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों में रहते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन किया. उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है और देश ने एक विद्वान व्यक्ति को खो दिया है. राज्यपाल ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने लिखा कि भारत रत्न प्रणब मुखर्जी एक शानदार नेता थे, जिन्होंने देश की सेवा की. प्रणब जी का राजनीतिक करियर पूरे देश के लिए गर्व की बात है. अमित शाह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में देश की सेवा की, उनके निधन के बाद देश के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति हुई है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व राष्ट्रपति,भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन का समाचार दुःखद है. मुखर्जी के निधन से मन बेहद दुखी है, उनका जाना हम सबके लिए राष्ट्रीय क्षति है. पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्तित्व थे. राजनीति में समाज सेवा के रास्ते उन्होंने अपनी राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बनायी और केंद्रीय मंत्री से लेकर राष्ट्रपति होने तक गौरव उन्हें प्राप्त था. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें. दुःख की इस घड़ी में हम सब उनके परिजनों के साथ हैं.

स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आकस्मिक निधन का समाचार सुनकर अत्यंत दुख हुआ. वह एक अभूतपूर्व नेता और एक दूरदर्शी विचारक थे, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों में अपार सम्मान मिला. मंत्री साय ने विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए मृत आत्मा की शान्ति की कामना की. भगवान इस दुःख के घड़ी उनके परिजनों को शक्ति दे.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने एक कुशल प्रशासक, योग्य और मुखर राजनेता के तौर पर राजनीतिक जीवन की ऊँचाई को स्पर्श किया. एक संकटमोचक के रूप में उनकी तमाम कोशिशों ने सफलता के प्रतिमान गढ़े और राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश के स्वाभिमान को विश्व मंच में ऊंचाइयों तक पहुँचाया. साय ने कहा कि स्व. मुखर्जी सच्चे अर्थों में भारत रत्न थे. उनका देहावसान हम सबके लिए हृदयविदारक है. परमपिता परमेश्वर से उनकी आत्मा की चिरशांति और उनके परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की.

राज्यसभा सांसद डॉ. सरोज पांडेय ने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति और प्रखर राजनेता प्रणब मुखर्जी का निधन इस देश और देश की संसदीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय छति है. प्रणब मुखर्जी के साथ राजनीति का एक युग समाप्त हो गया है. अनुभवी, कुशल व दूरदर्शी राजनीतिज्ञ के अलावा प्रणव दा विद्वान, संवेदनशील एवं जनप्रिय नेता थे. प्रणब दा का संपूर्ण जीवन देश और देश के विकास और उन्नति को समर्पित रहा. वह एक ऐसे राजनेता थे जो दलगत राजनीति से ऊपर थे तथा जिन्हें देश के सभी वर्गों का सम्मान प्राप्त था.

बता दें कि 1 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में जन्मे प्रणब मुखर्जी ने 1969 में कांग्रेस के जरिए सियासत की दुनिया में कदम रखा. उसी साल वह राज्यसभा के लिए चुने गए. उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भरोसेमंद सहयोगियों में गिना जाता था. उसके अलावा वह 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए. इसके अलावा वह 2004 और 2009 में पश्चिम बंगाल की जंगीपुर सीट से 2 बार लोकसभा के लिए भी चुने गए. वो 23 सालों तक कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य भी रहे.