इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान फैसला दिया. जिसमें अदालत ने कहा कि पहली शादी इस्लामिक कानून के तहत हुई तो दूसरी, तीसरी और चौथी शादी शून्य नहीं होगी. मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने की.

दरअसल, फुरकान नाम के मुस्लिम युवक याचिका दायर की थी. फुरकान पर दूसरी पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसने पहली शादी छिपाकर उससे निकाह और रेप किया. इन आरोपों के आधार पर फुरकान पर मामला भी दर्ज हुआ. जिसके बाद फुरकान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फुरकान के वकील ने कुरान का तर्क दिया कि रेप का केस नहीं बनता, क्योंकि वह दूसरी शादी कर सकता है.
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कोर्ट ने बताई बहु विवाह के पीछे की वजह
उच्च न्यायालय ने कहा कि ”इस्लाम कुछ परिस्थितियों में और कुछ शर्तों के साथ एक से अधिक विवाह की अनुमति देता है, लेकिन मुस्लिम पुरुष स्वार्थ के कारण इसका दुरुपयोग करते हैं. इतिहास में एक समय ऐसा था जब बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो गईं और बच्चे अनाथ हो गए. इनकी रक्षा के लिए कुरान में बहु विवाह की सशर्त अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इसका दुरुपयोग पुरुषों द्वारा ‘स्वार्थी उद्देश्यों’ के लिए किया जा रहा है.’
कोर्ट ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने आवेदक के खिलाफ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगा दी. मामले को 26 मई से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए लिस्टिंग कर दिया है.
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