गोविंद पटेल, कुशीनगर. सरकार जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है, लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्यों में भ्रष्टाचार का खेल लगातार जारी है. तमकुही राज विकासखण्ड के बरवा राजापाकड़ ग्राम पंचायत में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की सनसनीखेज घटना सामने आई है. ग्राम निवासी रामवेलास सिंह ने सरकारी योजना मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, राज्य वित्त और सरकारी हेडपंप रीबोर कार्यों में धांधली का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है. स्थानीय अधिकारियों से लेकर उच्च पदस्थ अधिकारियों तक शिकायत के बावजूद हिलाहवाली करते हुए मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. नाराज रामवेलास ने अब अपनी गुहार उप लोकायुक्त कार्यालय लखनऊ में लगाई है और व्यापक जांच की मांग की है.

आरोप है कि ग्राम प्रधान पुष्पा देवी और पंचायत सचिव राजनीतिक संरक्षण में करोड़ों की अनियमितता को दबा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, बिना किसी कार्य के करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया. इतना ही नहीं ग्राम सभा की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर दुकानों और मकानों का निर्माण कराया गया. प्रधान पुष्पा देवी और उनके पति मुन्नीलाल द्वारा सरकारी जमीन को निजी संपत्ति में तब्दील करने की कोशिश का भी आरोप है. इस बाबत रामवेलास ने जिलाधिकारी से भी प्रार्थनापत्र सौंपकर मामले की गंभीरता से जांच करने की मांग की, लेकिन नतीजा शून्य रहा. रामवेलास ने साफ कहा, “सरकारी योजनाओं की आड़ में करोड़ों की निकासी हुई, बिना कोई कार्य हुए भुगतान कराकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया. इसके साथ ही सरकारी जमीन पर कब्जा कर व्यवसायिक निर्माण कर सरकारी संपत्ति को स्थायी नुकसान पहुंचाया जा रहा है.”

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रमावेलास ने शिकायत के साथ पत्र की छायाप्रति भी संलग्न कर दी गई है, ताकि आरोपों की पुष्टि हो सके. बावजूद इसके लोकायुक्त से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक पूरी तरह से मौन है. सवाल उठता है कि क्या सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ आंकड़ों में ही सीमित रह जाएगी या वास्तव में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. यह मामला आगामी दिनों में सुर्खियों में बने रहने वाला है, क्योंकि ग्रामीण जनता सच्चाई उजागर होने की प्रतीक्षा कर रही है. अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक लोकतंत्र के इस गहरे कलंक को दूर करने की कार्रवाई करता है. इस सम्बन्ध में जब अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन कॉल रिसिव नहीं हुआ.