रायपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने प्रेस रिलीज जारी किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विगत 3 नंवम्बर को एक्साइज ड्यूटी कम करके जनता को बड़ी राहत दी है. अन्य राज्यों की तरह भूपेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि प्रधानमंत्री के आग्रह किए जाने पर जनता के हित में वैट (VAT) घटाकर लोगों को राहत दी जाए, लेकिन पेट्रोल और डीजल की दरों में कमी को लेकर के राज्य की सरकार केवल राजनीतिक बहानेबाजी में लगी हुई है.

छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है कि सरकार द्वारा जनता के हित में लिए गए निर्णय योजनाओं और नीतियों का लाभ से राज्य सरकार द्वारा क्यो वंचित किया जा रहा है. जब बढ़े हुए दाम जनता चुकाती है तो सस्ती हुई सेवाओं का लाभ भी समान रूप से मिले. केवल राजनीतिक कारणों से प्रदेश की जनता के साथ दोहरा व्यवहार भूपेश बघेल की सरकार को बंद करना चाहिए, आखिर छत्तीसगढ़ भारत के अन्य राज्यों में से एक राज्य है.

अग्रवाल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का एजेंडा शुरू से केंद्र विरोधी रहा है. 2009 में मनमोहन सरकार की एक्साइज की दर तक केंद्र सरकार को कर में छूट देनी चाहिए, उनका यह बयान बिल्कुल गैरतार्किक है. एक तरफ तो वे 2 वर्ष पूर्व स्थिति में वेट कर को कम नहीं करना चाहते, दूसरी ओर 12 साल पूर्व की स्थिति में एक्साइज में छूट चाहते हैं. छत्तीसगढ़ में वर्तमान में पेट्रोल पर स्टेट टैक्स यानी वैट के रूप में 25 प्रतिशत प्लस 2 रुपए और डीजल पर 25 प्रतिशत प्लस 1 रुपए प्रति लीटर आरोपित किया जा रहा है. राज्य की सरकार केंद्र की तरह निर्णय लेवे तो 100 रु ली की जगह 85 रु लीटर पेट्रोल और 75- 80 रु ली में डीजल छत्तीसगढ़ की जनता को उपलब्ध कराया जा सकता है.

केन्द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों अन्य उपाय करते हुए पाम आयल, सोयाबीन और सूरजमुखी पर 2.5% आधार शुल्क समाप्त करने की घोषणा की गई है. खाद्य तेलों में कमी के लिए कृषि उपकर भी घटाया गया है. पेट्रोल पर और डीजल पर की गई कटौती से विभिन्न वर्गों को सीधा लाभ मिलेगा. 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश में भी वैट में कमी करके लोगों को राहत दी है. दोनों मिलाकर देखें तो डीजल की कीमतों में लगभग ₹20 की कमी ,पेट्रोल में लगभग 13 रू कमी का लाभ उपभोक्ताओं को मिलने वाला है.

अग्रवाल ने कहा डीजीपी की बदली पर मुख्यमंत्री का बयान आया है कि डीजीपी को प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टिकोण से बदलाव किया गया है. इससे यह बात साबित करती है कि 3 वर्षों से प्रशासनिक अव्यवस्था का आलम है, जिसके लिए केवल राज्य सरकार जिम्मेदार है.