लक्षिका साहू, रायपुर. राजधानी के महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में गजब का मामला सामने आया है. पिछले एक साल से विभाग में कार्यरत कर्मचारी दो संस्थानों से वेतन उठा रहा था. एक ही समय में दो जगह पर कार्यरत कर्मचारी की जानकारी होने के बाद भी विभाग ने कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ खानापूर्ति की है. वित्तीय अनियमितता के प्रति अधिकारियों का रवैया मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है.
दरअसल महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन में पिछले एक साल से कार्यरत एक कर्मचारी का दूसरे गवर्नमेंट सपोर्टेड संस्थान में कार्य करने का मामला सामने आया है. ये कर्मचारी सितंबर 2023 से चाइल्ड हेल्पलाइन में कार्यरत थी, जबकि सितंबर 2022 से संकल्प संस्कृति समिति (NGO) में आउटरीच वर्कर के रूप में कार्य कर रही थी. संकल्प संस्कृति समिति (NGO) को जब इस बात की जानकारी मिली तो NGO ने एक पत्र के माध्यम से महिला बाल विकास विभाग के ज़िला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा को सूचना दी और कर्मचारी को संस्थान से तत्काल हटा दिया गया. संस्थान के डायरेक्टर ने ये भी कहा कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा संस्थान में कार्यरत कर्मचारी का कोई NOC नहीं लिया गया है, जिससे कर्मचारी दो संस्थान को धोखे में रखकर कार्य कर रही थी.
कर्मचारी को पत्र जारी कर विभाग ने पूछताछ के लिए बुलाया
संकल्प समिति द्वारा 26 सितंबर 2024 को विभाग को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी गई थी, जिसके बाद कर्मचारी के वेतन संबंधित अन्य जानकारियां भी विभाग को उपलब्ध करा दी गई, लेकिन 1 महीने बीत जाने के बाद भी इस विषय में कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई. जब लल्लूराम डॉट कॉम ने जिला कार्यक्रम अधिकारी से इस विषय में जानकारी ली तब मामले में जांच करने की बात कही गई और तत्काल पत्र जारी कर कर्मचारी को अपना पक्ष रखने विभाग में बुलाया गया. मामले में कर्मचारी का क्या कहना था ये जानने के लिए विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
NGO से पहले विभाग को मिली जानकारी फिर क्यों नहीं हुई कार्रवाई
वहीं चाइल्ड हेल्पलाइन के को-ऑर्डिनेटर विनोद सिदार से जब लल्लूराम डॉट कॉम ने कर्मचारी की उपस्थिति की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि बिना इस्तीफे के 9 अक्टूबर से कर्मचारी अनुपस्थित है. अगस्त में ही विभाग को इस विषय से लिखित में अवगत करा दिया गया था. ये धोखाधड़ी का मामला संविदा कर्मचारी संजय निराला के ज़िला बाल संरक्षण का प्रभार सम्भालने के दौरान ही सामने आया है. जब उनसे इस विषय में जानकारी लेने का प्रायस किया तो वे कार्यक्रम अधिकारी पर मामला उड़ेलते नजर आए.
जानकारी और दस्तावेज के मुताबिक, विभाग के अधिकारियों को NGO से पहले भी इस धांधली की जानकारी मिल चुकी थी, लेकिन अधिकारियों द्वारा इस विषय को संज्ञान में लेने के बजाय नजरअंदाज किया गया. अधिकारियों की कार्रवाई में लेटलतीफ़ी ने कई सवाल तो खड़े कर ही रहे हैं. साथ ही विभाग में ऐसे अनियमितता को शह देने में अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर कर रही है.
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