पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। बिलासपुर की तरह रायपुर संभाग में भी शिक्षक पदोन्नति के बाद संसोधन के नाम पर जमकर खेला हुआ है. संशोधन स्कीम करोड़ों में बिक गई. कोड वर्ड में डील हुई है. ‘सामान’ से शिक्षा का सत्यानाश करने की साजिश को अंजाम दिया गया है. 6 जिले के 1300 शिक्षक और गुप्त तरीके से संशोधन में जमकर ‘धनवर्षा’ हुई है. कहा ये भी जा रहा है कि ट्रांसफर से पहले एक बड़ी मछली ‘सामान’ बटोर कर ले गई, जो इन दिनों जिले में चर्चा का विषय है.

दरअसल, संभागीय संयुक्त संचालक कार्यलाय रायपुर से किए गए इस खेला में गरियाबंद जिला भी प्रभावित हुआ है. शिक्षा गुणवत्ता की रेटिंग में गरियाबंद नीचे से चौथे पायदान पर है. आंकड़े बताते हैं कि जिले के केवल 444 मिडिल स्कूलों में 300 शिक्षकों की जरूरत थी. मई माह में हुए पदोन्नति प्रक्रिया के बाद उम्मीद थी की रिक्त पद भर लिए जाएंगे.

मिली जानकारी के मुताबिक सयुक्त संचालक ने काउंसिल प्रक्रिया में शामिल पदोन्नत 250 से ज्यादा शिक्षकों को गरियाबंद जिले के विभिन्न स्कूलों में पोस्टिंग आर्डर मई माह के अंतिम तारीख तक निकाल दिया गया था, लेकिन इनमें से केवल 177 लोगों ने जिले में ज्वाइनिंग की.

सिस्टम से पसंदीदा जगह पर पहुंच गए शिक्षक

हैरानी की बात है कि दुर्गम और पहाड़ों में मौजूद जनजातीय अध्ययन करने वाले 47 एकल शिक्षकीय स्कूलों में से केवल 10 में ही शिक्षक आए. मैनपुर ब्लॉक में आज भी 40 मिडिल स्कूल एक शिक्षक है. 30 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जहा सुविधा के कारण तय संख्या से ज्यादा शिक्षकों को पोस्टिंग कर दी गई है. 80 से ज्यादा शिक्षक ज्वाइन किए बगैर अपने अपने इच्छा अनुसार संशोधन आदेश के जरिए पसंदीदा जगह पर पहुंच गए है.

क्या बोले जिला शिक्षा अधिकारी

संशोधन कराने वालो में धमतरी,रायपुर व महासमुंद जिले के शिक्षकों के नाम के अलावा छुरा और गरियाबंद ब्लॉक से मैनपुर पदस्थ किए गए शिक्षकों के नाम शामिल हैं. मामला जेडी कर्यालय से जुड़े होने के कारण जिला शिक्षा अधिकारी डीएस चौहान ने संसोधन के मामले से अनभिज्ञता जाहिर की, लेकिन उन्होंने इतना कहा कि जिन जगहों पर संख्या ज्यादा हो गई, वहां बैलेंस किया जाएगा. मांग के अनुरूप पदस्थ संख्या भी कम है.

लेन देन का कोड वर्ड ‘सामान’, जमकर बरसे करोड़ों !

सूत्र बताते हैं कि संशोधन के लिए लेन देन जेडी कार्यलय में अफसर के भरोसेमंद बाबुओं के भरोसे था. जिन्हें कराना था, उन्हें आवेदन मेडिकल के साथ ‘सामान’ लाने कहा जाता था. ज्यादा दुर्गम हुआ तो संसोधन के लिए सुविधा शुल्क 3 लाख तक देना पड़ा. 1 जून से 12 जून तक करोड़ों की धन वर्षा हो गई. यह हो रही चर्चा के आधार पर हम कह रहे हैं, लेन देन की पुष्टि लल्लूराम डॉट कॉम नहीं करता.

बता दें कि काउंसलिंग के बाद 400 से ज्यादा लोगो का संशोधन हुआ, जिसके लिए सभी का सिंगल आदेश जारी हुआ था. इतना ही नहीं तत्कालीन जेडी के तबादले के आदेश तिथि के बाद 12 जून को ही 200 से ज्यादा ससोधन आदेश निकल गया. संशोधन के इसी खेल की जांच रायपुर के राजस्व कमिश्नर कर रहे हैं. विभाग के आला अफसरों ने भी मीडिया को दिए बयान में जांच की पुष्टि किए हैं.

तबादले से पहले ज्वाइनिंग टाइम लाइन बढ़ा

बताया जा रहा है कि गड़बड़ी की भनक लगते ही तत्कालीन जेडी को हटाने 9 जून को आदेश जारी हुआ. हटाने की भनक पहले से लग चुकी थी. मिशन का टारगेट भी पूरा नहीं हो सका था. ऐसे में 25 मई को पदोन्नत के जारी आदेश में ज्वाइन करने की अंतिम तारीख 10 जून लिखा था, उसे जेडी ने अपने तबादला से ठीक एक दिन पहले 8 जून को जारी एक आदेश में शिक्षकों को ज्वाइन करने की अंतिम मियाद 25 जून कर दिया, फिर 12 जून को एक मुश्त 200 से ज्यादा संसोधन आदेश 12 घंटे के भीतर निकाल दिए. लल्लूराम के पास 12 जून को जारी संसोधन के 17 प्रति मौजूद हैं.

मंत्री से हुई थी शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई

बता दें कि भर्रासाही की शिकायत 6 जुलाई को गरियाबंद जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम से की थी, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने इस मामले में कई संगीन इल्जाम जेडी कार्यालय पर लगाए हैं.

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