मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ: पहले आम चुनाव को छोड़ दें जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरु फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे तो उसके बाद रायबरेली(Raebareli) और अमेठी(Amethi) कांग्रेस की परंपरागत सीटों के रुप में स्थापित हो गई।
यूपी की राजधानी लखनऊ का पड़ोसी जिला रायबरेली तो राजधानी से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमेठी(Amethi) और सुल्तानपुर(Sultanpur) कैसे और किस तरह कांग्रेस का गढ़ बनती गई। देश की हाईप्रोफाईल सीट के तौर पर जाने जानी वाली इन सीटों पर कभी राजीव गांधी तो कभी सोनिया और राहुल गांधी जीतते रहे हैं। राहुल गांधी ने फैसला कर लिया है कि वह वायनाड की जगह रायबरेली के सांसद रहेंगे।
अमेठी(Amethi) की आबादी में हिंदू 79 प्रतिशत, मुस्लिम 20 प्रतिशत बाकी में अन्य लोग हैं। इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2329.11 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। एक जुलाई 2010 को अमेठी यूपी का 72 वां जिला बनाया गया था। इसके लिए सुल्तानपुर जिले की तीन तहसीलें अमेठी, गौरीगंज और मुसाफिर खाना और रायबेरली की दो तहसीलें सलोन और तिलोई को एक साथ जोडक़र अमेठी जिला बनाया गया।
अमेठी(Amethi) का नेतृत्व नेहरु जी कर चुके हैं
अमेठी(Amethi) लोकसभा का प्रतिनिधित्व प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, उनके दो पुत्र संजय गांधी, राजीव गांधी कर चुके हैं। इसके बाद राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गंाधी और राहुल गांधी भी यहां से सांसद रहे हैं। लंबे अरसे बाद यहां से गैर गांधी परिवार से केएल शर्मा चुनाव लड़े और भाजपा नेत्री स्मृति इरानी को पराजित कर सांसद बने हैं। इसके पहले चुनाव में यहां से राहुल गांधी को स्मृति चुनाव में शिकस्त देने में कामयाब रही थीं।
रायबरेली का राजनैतिक भूगोल
रायबरेली जिले में कुछ छह तहसीले हैं। 9 नगर निकाय है तो 19 पुलिस थाने जबकि गांवों की संख्या 1574 है। 4043 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिले की आबादी 2903507 है जिसमें पुरुषों की आबादी 1495244 और महिलाओं की संख्या 1408263 है। रायबरेली जिले का इतिहास ब्रिटीश काल से है इसका निर्माण भी अंग्रेजों के समय 1858 में किया गया था।
कौन है केएल शर्मा
केएल शर्मा साल 2024 लोकसभा चुनाव में अमेठी से भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे और विजयी रहे हैं। वह मूलरुप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। जब वह 20 साल के थे तभी राजनैतिक रुप से सक्रिय हो गए थे। युवावस्था में ही वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आए। तब से वह कांग्रेस के ही होकर रह गए। कैप्टन सतीश शर्मा ने उनको राजीव गांधी से मिलवाया था। उनके संगठन कौशल को देखते हुए राजीव गांधी उनको रायबेरली लेकर आए थे।
केएल शर्मा रायबरेली रहते हुए राजीव गांधी और रायबेरली की जनता के बीच सेतु का कार्य किया करते थे। हालांकि शुरूआत में उनको तिलोई विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन उनके सांगठनिक कौशल और जनता के बीच कनेक्टिविटी को देखते हुए बाद में रायबरेली और सुल्तानपुर जिलों की जिम्मेदारी सौप दी थी।
राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया लड़ी चुनाव
राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी जब 1999 में अपनी राजनैतिक पारी शुरू की तो केएल शर्मा पर आंख मूंदकर भरोसा करती थी। बाद में उनको अमेठी और रायबरेली दोनो सीटों का प्रभारी बनाया गया। शर्मा लंबे समय से रायबरेली और अमेठी की जनता से जुड़े रहने के कारण जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं।
रायबरेली में कुल 15 ब्लाक है और केएल शर्मा ने सांसद निधि के प्रति वर्ष मिलने वाले 5 करोड़ रुपए को 16 हिस्सों में बांट रखा था। जिसमें 15 हिस्से तो ब्लाक के होते थे और सोलहवां हिस्सा शहरी क्षेत्र के लिए रखा जाता था। धन का आवंटन इस तरीके से किया कि कांग्रेस पार्टी के प्रत्येक ब्लाक अध्यक्ष के पास विकास कार्यो के लिए एक निधि मौजूद रहती है और क्षेत्र में उसका रुतबा किसी विधायक से कम नहीं होता है।
रायबरेली से फिरोज गांधी भी रहे सांसद
यहां पर प्रथम आम चुनाव 1952 से 1957 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व राहुल गांधी के नाना फिरोज गंाधी ने किया था। 1967 से 1984 तक इंदिरा गांधी यहां की सांसद रही हैं। जबकि यहां से 2004 से लेकर 2024 तक सोनिया गांधी सांसद रही है।
अमेठी लोकसभा सीट भी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। यहां से 1980 में सबसे पहले संजय गांधी ने जीत दर्ज किया था। इसके बाद 1984 से 1991 तक राजीव गांधी यहां से सांसद रहे हैं। 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी लोकसभा में जीत दर्ज किया। इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में यहां से राहुल गांधी ने प्रतिनिधित्व किया है।
तो प्रियंका गांधी लड़ेगी चुनाव, राहुल वायनाड की जगह रायबरेली से रहेंगे सांसद
इंदिरा गांधी हार गई थी चुनाव
आपातकाल लगने के बाद हुए चुनावों में इंदिरा गांधी को 1977 में यहां से राजनारायण ने पराजित किया था। इसके तीन साल बाद हुए चुनावों में फिर से इंदिरा गांधी यहां से बंपर वोटों से जीती लेकिन इस बार उन्होंने दो जगहों से चुनाव लड़ा था और जीतने के बाद रायबरेली से त्याग पत्र दे दिया था। जिसके बाद हुए उपचुनाव में अरुण नेहरु यहां से चुनाव जीते थे। 1984 के चुनाव में भी अरुण नेहरु ने यहां से जीत दर्ज किया। 1989 और 1991 में हुए चुनावों में यहां से इंदिरा गांधी की मामी शीला कौल यहां से चुनाव जीती थी।
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