Anand Mahindra On Working Hours: महिंद्रा समूह (Mahindra Group) के चेयरमैन आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। महिंद्रा अक्सर कई मुद्दों पर अपनी बेबाकी से राय रखत हैं। इसी बीच काम के घंटों पर जारी बहस के बीच महिंद्रा समूह के चेयरमैन ने कुछ ऐसा कह दिया कि एक बार फिर से सुर्खियों में छा गए हैं। उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी बेहद खूबसूरत है, मुझे उसे निहारना अच्छा लगता है। आनंद महिंद्रा ने कहा कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा, न कि काम की मात्रा पर। इसलिए, यह 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे की बात नहीं है। आप क्या परिणाम दे रहे हैं? भले ही यह 10 घंटे का हो, आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं।

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दरअसल 10 जनवरी को लार्सन एंड टूब्रो (Larsen & Toubro) के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन ( SN Subrahmanyan) की टिप्पणियों से सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा था किप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहारते रहेंगे। पत्नी को निहारने की जगह ऑफिस में आकर काम करें। सुब्रह्मण्यन ने सप्ताह में 90 घंटे काम  (90 Hours Work Week) करने की वकालत की और सुझाव दिया था कि कर्मचारियों को रविवार को भी छुट्टी नहीं लेनी चाहिए।

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 लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के सलाह पर आनंद महिंद्रा ने दिल्ली में राष्ट्रीय युवा महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर वह इसलिए नहीं हैं कि वह अकेले हैं। उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी बेहद खूबसूरत है, मुझे उसे निहारना अच्छा लगता है। महिंद्रा ने सप्ताह में 90 घंटे काम करने को लेकर गए पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और अन्य के प्रति अपना सम्मान दोहराते हुए कहा, “मैं गलत नहीं कहना चाहता, लेकिन मुझे कुछ कहना है। मुझे लगता है कि यह बहस गलत दिशा में जा रही है, क्योंकि यह बहस काम की मात्रा के बारे में है।

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काम की क्वालिटी पर ध्यान हो-घंटों पर नहीं

उन्होंने कहा, “मेरा कहना यह है कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा, न कि काम की मात्रा पर। लिहाजा यह 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे की बात नहीं है। आप क्या परिणाम दे रहे हैं? भले ही यह 10 घंटे का हो, आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं। महिंद्रा ने कहा कि उनका “हमेशा से मानना ​​रहा है कि आपकी कंपनी में ऐसे लोग होने चाहिए जो समझदारी से निर्णय लें। तो, सवाल यह है कि किस तरह का मस्तिष्क सही निर्णय लेता है?” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक ऐसा मस्तिष्क होना चाहिए जो “समग्र तरीके से सोचता हो, जो दुनिया भर से आने वाले सुझावों के लिए खुला हो।

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उन्होंने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “यदि आप घर पर समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप मित्रों के साथ समय नहीं बिता रहे हैं, यदि आप पढ़ नहीं रहे हैं। यदि आपके पास चिंतन-मनन करने का समय नहीं है, तो आप निर्णय लेने में सही इनपुट कैसे लाएंगे?” अगर हम हर समय केवल कार्यालय में ही रहेंगे, अपने परिवार के साथ नहीं होंगे, हम अन्य परिवारों के साथ नहीं होंगे तब हम कैसे समझेंगे कि लोग क्या खरीदना चाहते हैं?

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अडाणी बोले थे – 8 घंटे घर रहने पर भी बीबी भाग जाएगी

इससे पहले हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था कि ‘आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।’ अडाणी ने कहा था कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है।

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नारायण मूर्ति ने सबसे पहले हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी

सबसे पहले इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि ‘इंफोसिस में मैंने कहा था, हम दुनिया के टॉप कंपनियों के साथ अपनी तुलना करेंगे। मैं तो आपको बता सकता हूं कि हम भारतीयों के पास करने के लिए बहुत कुछ है। हमें अपने एस्पिरेशन ऊंची रखनी होंगी क्योंकि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 80 करोड़ भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करना नहीं चाहते, तो कौन करेगा कड़ी मेहनत?’ हाल ही में नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात दोहराई भी थी। उन्होंने कहा- युवाओं को यह समझना होगा कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और भारत को नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना होगा।

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