रायपुर. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-2019 के लिए प्रस्तुत किये गए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि यह बजट हर वर्ग के लिए निराशाजनक है. देश के अधिकांश हिस्से में सूखे की मार झेल रहे किसानों को बजट से बहुत आशाएं थीं, लेकिन मोदी सरकार ने हर बार की तरह इस बार भी उन्हें छल दिया है. जिस समय महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी हो, ऐसे समय में सरकार द्वारा बजट में महंगाई को काबू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाना साथ ही आयकर की दरों में कोई बदलाव नहीं करके मध्यम वर्गीय और नौकरीपेशा लोगों की उमीदों पर पानी फेरकर सरकार ने अपना तानाशाही रवैया दिखाया है. जोगी ने कहा कि यह सभी जानते है कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत लचर है फिर भी स्वास्थ्य क्षेत्र में अधोसंरचना विकास और डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम न उठाया जाना सरकार की लोगों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता को दर्शाता है. पेट्रोल डीजल के दामों में की गयी आंशिक कमी को जोगी ने ऊंट के मुँह में जीरा करार दिया.
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों के वेतन में की गयी वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित जोगी ने कहा कि साल 2014 में मनरेगा का बकाया भुगतान 39% के करीब था, जो आज बढ़कर लगभग 62% हो गया है. लेकिन सरकार की प्राथमिकता गरीबों को उनके मेहनत और हक़ के पैसे न देकर उच्च पदों पर बैठे लोगों की वेतनवृद्धि करना है. इससे स्पष्ट है कि सरकार की नियत और नीति दोनों में ही खोट है.
जोगी ने कहा कि कुल मिलाकर केंद्रीय बजट पूरी तरह दिशाहीन है, चुनावों को देखते हुए इसे लोकलुभावन दिखाने का प्रयास किया गया है. अमित जोगी ने कहा कि चुनाव सरकार की तस्वीर बदलता है, जबकि बजट राष्ट्र की तस्वीर बदल सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना ध्यान चुनाव जीतने में लगाया है, यदि उसका 1 प्रतिशत ध्यान भी ऐसा बजट बनाने में लगाया होता जो सभी वर्गों के हितों को साधे तो आज राष्ट्र की तस्वीर कुछ और ही होती. जोगी ने कहा कि बजट से स्पष्ट है कि मोदी सरकार की मंशा है “एक हाथ से छूट और दूसरे से लूट”.