रायपुर- मरवाही विधायक अमित जोगी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें वोरा ने कहा था कि क्षेत्रीय पार्टियां प्रदेश के भले के लिए कुछ नहीं कर सकतीं. अमित जोगी ने मोतीलाल वोरा के बयान पर टिप्पणी करते हुए पूछा कि वोरा कौन से युग में जी रहे हैं?

अमित जोगी ने कहा कि- देश के दो सबसे बड़े राज्यों उत्तरप्रदेश और बिहार के क्षेत्रीय दलों के टुकड़ों पर पलने वाली पार्टी के कोषाध्यक्ष के मुँह से इस तरह की बातें अच्छी नहीं लगती. उन्होंने कहा कि- वोरा वयोवृद्ध हैं, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री रहें हैं, इसलिए मैं उनका बेहद सम्मान करता हूँ और इसी सम्मान के साथ कहना चाहता हूँ कि उनको २४ अकबर रोड के अपने एसी कमरे से बाहर निकलकर बदलते भारत की तस्वीर को समझना चाहिए. कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कुछ राज्यों को छोड़कर अब उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों की जूनियर पार्ट्नर बनकर ही अपना अस्तित्व बचाकर रखी है.  उन्हें याद करना चाहिए कि बिना इन दलों के समर्थन के ना यूपीए वन और ना यूपीए टू की सरकारें बनती और न ही चल पाती. आज भी मोदी-शाह की जोड़ी को बिना क्षेत्रीय दलों के नहीं रोका जा सकता.

मरवाही विधायक ने कहा- जहां-जहां कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर है, केवल उन्हीं राज्यों में कांग्रेस का वजूद बचा हुआ है. जहां-जहां क्षेत्रीय शक्ति का उदय हुआ है, वहां-वहां कांग्रेस हाशिए पर है. मोतीलाल वोरा को मालूम होना चाहिए कि उनके राज्य में भी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का उदय हो गया है.  इसी साल उनके पुत्र के निर्वाचन क्षेत्र दुर्ग में हुए वार्ड ४१ के उप-चुनाव में जनता ने हमें अपना आशीर्वाद देकर उनकी पार्टी की ज़मानत ज़ब्त कराई.

ऐसे में क्षेत्रीय दलों के बारे में मोतीलाल वोरा की बातें न केवल वास्तविकता से परे हैं, बल्कि ज़मीन पर तेज़ी से अप्रासंगिक होती जा रही पार्टी के नेता का झूठा अहंकार या एक वयोवृद्ध नेता की पुराने ज़माने में फिर से लौटने की इच्छा को भी दर्शाता है.

अमित जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता भली भांति समझ चुकी है कि नगरनार विनिवेश, पोलावरम और कनहर बाँध निर्माण, महानदी जल विवाद और आउटसोर्सिंग जैसे प्रदेश के २.५ करोड़ लोगों के अस्तित्व से जुड़े अहम मसलों पर कांग्रेस और भाजपा ने प्रदेश का कितना ध्यान रखा है. अमित जोगी ने दो टूक कहा कि छत्तीसगढ़ में उसी दल का राज चलेगा जो अन्य प्रदेशों के ऊपर छत्तीसगढ़ के हितों को सर्वोपरी रखेंगें.