नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को दिया जा रहा है. बता दें कि गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा बनाए आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में दिया जाता है. ये 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. गांधी शांति पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग से इतर किसी को भी दिया जा सकता है. गांधी शांति पुरस्कार में 1 करोड़ रुपये की राशि के साथ एक प्रशस्ति पत्र के साथ और भी कई चीजें दी जाती हैं.
गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस में वाकयुद्ध शुरू हो गया है. कांग्रेस ने इस फैसले की आलोचना की है. इस मामले पर अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने सोमवार (19 जून) को कहा, “भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है.”
अमित शाह ने आगे कहा, “100 वर्षों से ज्यादा समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है. गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनकी ओर से किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है.” गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जायेगा.
जयराम रमेश ने की आलोचना
कांग्रेस ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है. इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है.”
गोडसे को पुरस्कार देने जैसा- जयराम रमेश
गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का केंद्र सरकार ने फैसला लिया. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने न केवल सवाल उठाया बल्कि यहां तक कह दिया कि यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
नरोत्तम मिश्रा ने किया पलटवार
जयराम रमेश के बयान का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश के गृहमंत्री मिश्रा ने कहा, “हमारे सनातन के साहित्य के छपने का सबसे बड़ा केंद्र है गीता प्रेस, कांग्रेस को आपत्ति इसलिए हो सकती है क्योंकि वह गीता और रामायण ही सिर्फ छापते हैं. यह इनकी पीड़ा हो सकती है. यह उनकी तुष्टिकरण है. उन्होंने सौ साल में कोई सम्मान लिया नहीं है. इसके बाद भी इनको आपत्ति है. यह देश सब समझता है कि इन्हें क्यों आपत्ति है.”
‘ये गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान’
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की कांग्रेस की ओर से की जा रही आलोचना के बीच सोमवार को कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है.