सुप्रिया पांडेय, रायपुर। रेडी टू ईट भोजन में शिकायतों को देखते हुए अब नई कवायद शुरू कर की जाएगी. एक जगह रेडी टू ईट बनाया जाएगा. मशीनों के जरिए भोजन तैयार किया जाएगा. इस मामले में महिला एंव बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि लगातार आ रही शिकायतों के चलते निर्णय लिया गया है. अब क्वालिटी को लेकर कोई शिकायत नहीं होगी. इस फैसले के खिलाफ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों में वितरित की जाने वाली रेडी टू ईट फूड को अब ऑटोमेटिक मशीनों से उत्पादन का निर्णय लिया है. महिला स्व सहायता समूह से यह काम वापस ले लिया गया है, जिसके बाद लगभग 20,000 से अधिक महिलाएं इससे प्रभावित होने वाली है. वहीं स्वसहायता समूह की महिलाओं ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बड़ी संख्या में महिलाएं आज कलेक्ट्रेट गार्डन में इकठ्ठी हुई. उन्होंने कलेक्ट्रेट में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है.

महिलाओं का कहना है कि उन्होंने अभी आंदोलन की शुरुआत की है. अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती तो आने वाले समय में वे उग्र आंदोलन करेंगी, इस योजना के साथ जुड़कर महिलाएं सालों से काम कर रही हैं. अब ये महिलाएं बेरोजगारी की कगार पर आकर खड़ी हैं.

महिलाओं का कहना है कि लगातार काम किया और उनके काम की वजह से छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर घटती जा थी. कोरोना काल में भी उन्होंने कदम पीछे नहीं लिए और अब सरकार उनसे यह काम छीन रही है. इस समूह में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिनका घर इसी के माध्यम से चलता है. अब इसका सीधा असर उनके घर पर ही पड़ने वाला है.

बता दें कि रेडी टू ईट भोजन पोषण आहार की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है. वर्तमान में प्रचलित पूरक पोषण आहार व्यवस्था के अंतर्गत टेक होम राशन में रेडी टू ईट फूड निर्माण और वितरण का कार्य अब कृषि विकास एवं कृषक कल्याण एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राज्य बीज एवं कृषक विकास निगम के द्वारा स्थापित इकायों के माध्यम से किया जाएगा.

इस पूरे मामले को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया का कहना है कि महिलाओं को वितरण का काम दिया जाएगा. उनसे काम पूरी तरीके से छीना नहीं जा रहा है. लगातार ऐसी शिकायतें आ रही थी, जिसमें कहा जा रहा था कि रेडी टू ईट की गुणवत्ता में कमी आ रही है. इसे मेंटेन करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने यह फैसला किया है. इस फैसले का सीधा असर लगभग 20000 महिलाओं पर पड़ने वाला है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी है कि स्व सहायता समूह में काम करने वाली महिलाएं अब क्या केवल वितरण के काम से मिलने वाले भुगतान से ही अपना घर चला पाएंगी.

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