हरिओम श्रीवास, मस्तूरी। मस्तूरी के सखी क्रेडिट सहकारी समिति में अपना पैसा जमा करने वाले हितग्राहियों अब अपने आप में ठगा महसूस कर रहे हैं. सखी मर्यादित समिति में राशि जमा करने वाले हितग्राहियों को अब उनका पैसा नही मिल रहा. आलम यह है कि उन्हें खून-पसीना बहाकर कमाई गई रकम के लिए चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है.

सखी क्रेडिट सहकारी समिति के माध्यम से मस्तूरी क्षेत्र की महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर हैं. अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये लोन दिया जाता है, जिससे वे कुछ व्यवसाय कर सके, और कुछ इस उम्मीद से पैसा जमा करते हैं, उन्हें अपने काम के समय मिल सके. लोगों ने समिति सदस्यों पर विश्वास कर पैसा जमा करना शुरू कर दिया. लेकिन चार महीने से वे अपनी जमा पूंजी नहीं निकाल पा रहे हैं.

हितग्राही बच्चों की शादी के लिए, या अपनी निजी जरूरत के लिए पैसे निकालने समिति कार्यालय पहुंच रहे हैं, तो उन्हें सदस्यों से केवल झूठा आश्वासन मिल रहा है. जब सखी सहकारी समिति के कार्यालय पहुंच रहे हैं, तो पहुंचे तो पता चला कि अध्यक्ष ने आना ही छोड़ दिया है, वहीं दूसरी ओर समिति में कर्मचारी ही नहीं है, जिसके जरिए वे बात कर सकें. ऐसे में पैसा जमा करने वाले हितग्राहियों के लिए समस्या पैदा हो गई है कि वे कहां जाकर पैसा निकाले.

हितग्राही प्रमिला साहू के पुत्र का कहना है कि वह इस संस्था में अपना पैसा जमा किया ताकि उसे वह जरूरत आने पर निकाल सके अब मेरे यहां शादी है और पांच माह से संस्था के सदस्य एवं उपाध्यक्ष को बचत राशि 40000 को निकाल कर देने के लिए कह रहा हूं परन्तु नहीं दिया जा रहा है. ममता गन्धर्व की बहन का कहना है कि मेरे जमा पैसा अभी तक नहीं मिला है. संस्था के सदस्यों से कहने पर किसी प्रकार का कोई जवाब नही देता हम किसके पास जाए.

सदस्य हेमलता साहू का कहना है कि मस्तूरी का कार्यालय बंद हो चुका है. कोई बैठने वाले नहीं है. अध्यक्ष आशालता के नेतृत्व में चलाया जा रहा अब वो समिति के कार्य में नहीं आ रही है. फिलहाल, मैं सदस्य के रूप में कार्य कर रही हूं. हितग्राहियों को लगभग 30 से 35 लाख रुपए लौटना है, वहीं और 40 लाख रुपए तक कई लोगों को लोन के रूप में दिया गया, जिसकी वसूली करना है. समिति के लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो हम क्या कर सकते हैं.

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