न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। देशभर में जैविक खेती के सर्वाधिक रकबा वाले मध्य प्रदेश के अनूपपुर में कृषि विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की फसल उगाई। वर्ष 2018 से 2020 में जैविक खेती के लिए किसानों को दिए जाने वाले केंचुए और अन्य सामग्री में गड़बड़ी कर 2 करोड़ 29 लाख रुपये का घोटाला किया। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा ईकाई को शहडोल निवासी ने शिकायत कर गड़बड़ी की जांच की मांग की थी। कलेक्टर आशीष वशिष्ट ने टीम भेजकर जांच कराई तो गड़बड़ी की शिकायत सही पाई गई। इस आधार पर कलेक्टर ने शासन और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को जानकारी भेजकर जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

5 हजार किसानों को दिया जाना था साहित्य और प्रशिक्षण

इस योजना के अंतर्गत जिले के विभिन्न गांवों के पांच हजार किसानों को वर्मी कंपोस्टिंग बेड, जैविक खाद, केंचुआ, जाल, साहित्य और प्रशिक्षण दिया जाना था। इसके लिए जिला खनिज निधि से 6 करोड़ 93 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। इसमें दो करोड़ 90 लाख रुपये कृषि विभाग की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) परियोजना, अनूपपुर को सामग्री खरीदने के लिए, 2.93 लाख रुपये प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के लिए और 1.08 करोड़ रुपये मिट्टी परीक्षण के लिए एक निजी कंपनी को दिए गए। प्रति किसान 9770 रुपये आवंटित किए गए।

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कृषि उप संचालक से वसूली और निलंबन का भेजा प्रस्ताव

जिला प्रशासन की जांच में कई किसानों ने बताया कि केंचुआ और अन्य सामग्री उन्हें मिली ही नहीं। जो मिली भी वह घटिया थी। मिट्टी परीक्षण के नाम पर भी गड़बड़ी की गई। किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। कलेक्टर ने कृषि उप संचालक एनडी गुप्ता से दो करोड़ 29 लाख रुपये वसूली के साथ विभागीय जांच और निलंबन का प्रस्ताव भेजा है।

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अपर कलेक्टर अमन वैष्णव ने बताया कि आर्थिक अपराध शाखा से पत्र मिला था, जिस पर जांच कमेटी जिला स्तर पर गठित हुई थी। जांच की गई, जिसमें सत्यता पाई गई। डीएमएफ मद से वर्ष 2018 से 2020 के बीच कृषि विभाग में दो करोड़ 29 लाख का भ्रष्टाचार पाया गया। इसकी जानकारी आर्थिक अपराध शाखा रीवा और शासन स्तर पर भेज दी गई है। आपको बता दें कि यह शिकायत शहडोल निवासी दीपक मिश्रा ने आर्थिक अपराध शाखा में की थी।

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