नई दिल्ली. ऑगस्टा हैलीकॉप्टर डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. कोर्ट के आदेश के मुताबिक राज्य सरकार ने गुरुवार को डील से जुड़े सभी दस्तावेज़ गुरुवार को पेश किए. कोर्ट ने इसकी कॉपी रखकर मूल दस्तावेज़ अगली सुनवाई पेश करने को कहा है.
इस मामले में याचिकाकर्ता स्वराज अभियान, टीएस सिंहदेव व नितिन सिन्हा, डॉक्टर अजीत डेगवेरेकर, राकेश चौबे ने डील से संबंधित सभी दस्तावेज़ पेश किए जो उन्होंने आरटीआई के जरिए हासिल किए थे. इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण के साथ केस लड़ रहे वकील सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इसकी अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. इस याचिका में इस डील को लेकर कई सनसनीखेज़ आरोप लगाया गया है.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से महेश जेठमलानी के अलावा हरीश साल्वे और राज्य सरकार के महाधिवक्ता जेके गिल्डा ने पैरवी की. इनकी दलील है कि राज्य में हैलीकॉप्टर की खरीद ज़रूरी थी. हैलीकॉप्टर खराब हो गया था. चूंकि कई राज्य उस वक्त ऑगस्टा ले रहे थे इसलिए सरकार ने ऑगस्टा ही लेने का फैसला किया.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये निविदा एक कंपनी विशेष के हैलीकॉप्टर खरीदने के लिए ही बुलाई गई थी. आरोप है कि निविदा के लिए बुलाई गई सभी कंपनियां आपस में मिली हुई थीं. याचिकर्ताओं की ओर बताया गया कि टेंडर के बाद जितने भी पत्राचार हुए हैं वो हांगकांग में ना होकर दिल्ली के फैक्स नंबर पर हुए हैं. ये पत्राचार ओएसएफ कंपनी के प्रतिनिधि से हो रहा था. ओएसएफ कंपनी ने भी इस हैलीकॉप्टर की सप्लाई की निविदा डाली थी लेकिन वो रेस से बाहर हो गई थी.
सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट में नितिन सिन्हा की ओर से आरटीआई से हासिल एक लिस्ट सौंपी गई जिसमें 2008 से 2014 तक राज्य सरकार ने जितने हैलीकॉप्टर किराए पर लिए गए उसके नाम है. चौंकाने वाली बात है कि इसमें बेल कंपनी का हैलीकॉप्टर भी राज्य सरकार ने कई बार किराए पर लिया है. जबकि बैल कंपनी के हैलीकॉप्टर सप्लाई की दावेदारी यह कहकर खारिज कर दी गई थी कि बैल के हैलीकॉप्टर छत्तीसगढ़ के अनुकूल नहीं है.
छत्तीसगढ़ में ऑगस्टा की सप्लाई का ऑर्डर जिस शार्प नाम की कंपनीको दिया गया, वो अगस्त 2008 में बंद हो गई. याचिकाकर्ताओं ने इसकी जांच की भी मांग की है.
इस मामले की पिछली सुनवाई में सरकार ने एटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने आपत्ति जताई थी कि याचिकाकर्ताओं ने से गोपनीय दस्तावेज़ हासिल किए हैं. गुरुवार को सुनवाई में जब याचिकाकर्ताओं की ओर से आरटीआई से हासिल दस्तावेज़ पेश किए गए तो एटार्नी जनरल ने अपनी आपत्ति वापस ले ली. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से हलफनामा पेश ना होने पर कोर्ट ने सवाल पूछा तो राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को ही शपथपत्र देने की जानकारी दी गई. इस पर याचिकाकर्ताओं ने दो हफ्ते का वक्त मांगा. इस पर कोर्ट ने 18 जनवरी को अगली सुनवाई नियत की है.