शैलेंद्र पाठक बिलासपुर- एडीजी मुकेश गुप्ता की संपत्ति की जांच मामले में लोक आयोग ने बिलासपुर हाईकोर्ट से माफी मांगी है. लोक आयोग ने जांच की अनुशंसा करते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसके खिलाफ मुकेश गुप्ता की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्टे दिया था. स्टे के बाद भी लोक आयोग द्वारा केंद्र सरकार से पत्र व्यवहार किया गया. मुकेश गुप्ता की ओर से इसे कोर्ट की अवमानना बताए जाने संबंधी याचिका पर हाईकोर्ट ने लोक आयोग से जवाब तलब किया था. लोक आयोग ने स्पष्टीकरण देते हुए हाईकोर्ट से माफी मांगी है. लोक आयोग ने हाईकोर्ट से मांगी गई माफी में इस बात का जिक्र किया है कि आदेश को ठीक ढंग से समझने में गलती हुई.

दरअसल लोक आयोग ने एक शिकायत पर एडीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही नोटिस जारी कर उनके व परिजनों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी मांगी थी. लोक आयोग ने 28 अप्रैल 2017 को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई जांच कराने राज्य शासन द्वारा अनुशंसा भेजे जाने की बात कही थी.  आयोग ने 12 अक्टूबर 2017 को मुकेश गुप्ता को नोटिस जारी कर उनकी और उनके परिजनों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे. गुप्ता ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. 31 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने लोक आयोग द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए राज्य शासन, डीजीपी, आईजी और लोक आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था.

लोक आयुक्त ने हाईकोर्ट से इस दलील के साथ माफी मांगी है कि मुकेश गुप्ता की याचिका पर हुई सुनवाई और उस पर दिए गए स्टे की जानकारी 2 नवंबर को मिली. इस आदेश के निहितार्थ को हम नहीं समझ सकें. इसके लिए हम माफी मांगते हैं. लोक आय़ुक्त ने हाईकोर्ट से कहा है कि आगामी आदेश तक एडीजी मुकेश गुप्ता के विरूद्ध किसी भी तरह की जांच के लिए केंद्र सरकार या दूसरी जांच एजेंसी को निर्देशित नहीं किया जाएगा. लोक आयुक्त  की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने माफीनामा स्वीकार कर लिया है.