Apple Electric Car: दुनिया भर में Apple (एपल) के चाहनेवालों को इस हफ्ते की शुरुआत में उस समय झटका लगा, जब अमेरिकी मीडिया में कई रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें कहा गया था कि टेक दिग्गज ने अपने बहुचर्चित प्रोजेक्ट टाइटन पर काम रोक दिया है. प्रोजेक्ट टाइटन एक बेहद गोपनीय प्रोजेक्ट था, जो मूल रूप से iPhone निर्माता द्वारा एक इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रहा था. लेकिन जबकि एपल ने न तो पुष्टि की है और न ही इस बात से इनकार किया है कि क्या प्रोजेक्ट टाइटन को रोक दिया गया है. अब यह बताया जा रहा है कि कंपनी ने इस पर 10 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए हैं.

कैसे हुई सेल्फ-ड्राइविंग कार कॉन्सेप्ट की शुरुआत(Apple Electric Car)

हमेशा टॉप रहने वाले, Apple के कुछ टॉप ऑफिशियल्स ने साल 2008 में ही सेल्फ-ड्राइविंग कॉन्सेप्ट कार के बारे में मंथन शुरू कर दिया था. ब्लूमबर्ग के साथ एक इंटरव्यू में, कंपनी के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष टोनी फैडेल ने कहा था कि, “वो और स्टीव जॉब्स अधिकतर कंपनी के इलेक्ट्रिक कार के बारे में बात करते थें. वो कहते हैं कि, हम एक दूसरे से कई तरह के सवाल करते थें, मसलन यदि हम अपनी पहली कार बनाएंगे तो वो कैसी होगी, कार की सीट और डैशबोर्ड कैसा होगा इत्यादि.

दरअसल, टोनी फैडेल का मानना था कि, इलेक्ट्रिक कारों और स्मार्टफोन में कई समानताएं होती हैं. जैसे कि, दोनों बैटरी से चलते हैं. इनमें एक कम्प्यूटर, एक मोटर और मैकेनिकल पार्ट्स होते हैं. ये कुछ वैसा ही होता है जैसे कि iPhone होते हैं. इसलिए Apple को इलेक्ट्रिक कार बिजनेस में भी उतरना चाहिए. इस तरह के विचारों के साथ ही Apple Electric Car प्रोजेक्ट की शुरुआत गोपनीय तरीके से की गई थी.

महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड में कमी (Apple Electric Car)

इन्फ्लेशन और ज्यादा इंटरेस्ट रेट के कारण कन्ज्यूमर अधिक खर्च से बच रहे हैं. महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड में कमी इसी का नतीजा है. इन सबके कारण इंडस्ट्री में जॉब कट और कम प्रोडक्शन भी देखा जा रहा है. ईवी मार्केट लीडर टेस्ला सहित कई प्रमुख वाहन निर्माताओं ने पूरी तरह से बैटरी से चलने वाली कारों की बजाय हाइब्रिड पर फोकस करने के लिए कुछ शिफ्टिंग प्लान्स के साथ, इन्वेस्टमेंट को वापस लेने का फैसला किया है.