सरगुजा। जिले के गांव वालों ने राजस्थान सरकार की परसा खदान को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई मंजूरी पर ख़ुशी जताई है. परसा, घाटबर्रा, फत्तेपुर, जनार्दनपुर, साल्हि इत्यादि गांव के ग्रामीण महीनों से राज्य सरकार को स्थानीय खदान शुरू करने के लिए अनुरोध कर रहे थे.

इन ग्रामीणों ने 2019 की साल में अपनी जमीन परसा खदान के विकास के लिए ख़ुशी ख़ुशी राजस्थान सरकार के विद्युत् उत्पादन निगम को सुपूर्द की थी. उन्होंने उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में हुई. ग्रामसभा में भी बढ़चढ़कर परसा खदान को समर्थन दिया था.

“शुक्र है की सरकार, उच्च अधिकारी और पत्रकारों ने भी अब सच जान लिया है. अब परसा खदान को जब मंजूरी मिल गई है तो असफल घोटालेबाज अनाप शनाप प्रेस विज्ञप्तियां निकालकर लोगों का ध्यान भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं.

हम समाचार माध्यमों को अनुरोध करते हैं कि परसा खदान, स्थानीय लोग और राजस्थान के बिजली उपभोक्ता हमारे भाई बहनों को समर्थन दें और गलत बयानों को बढ़ने से रोकें,” परसा के उप सरपंच शिव कुमार यादव ने कहा है.  

परसा क्षेत्र में सौहादपूर्ण वातावरण होने के बावजूद, एकाध पेशेवर कार्यकर्ता ने बाहरी तत्वों के साथ मिलकर खड़े किए विवादों के कारण राजस्थान सरकार परसा खदान समय से शुरू नहीं कर पायी थी. इसके चलते स्थानियों को रोजगार नहीं मिलने पर उन्हें जमीन के मुआवजे पर ही निर्भर होना पड़ा और उनका भविष्य अंधारमय हो रहा था.

पिछले मंगलवार परसा के और अन्य 1500 ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर संजीव कुमार झा को खदान के समर्थन में आवेदन देकर अनुरोध किया था. बाहरी तत्वों को क्षेत्र से दूर रखने के लिए पुरजोर अनुरोध किया था. पिछले महीने स्थानीय लोगों ने राज्यपाल अनुसुईया उईके के सामने परसा खदान को जल्दी ही शुरू करने के लिए अपनी मांग रखी थी.

स्थानीय लोगों ने पहले भी आरोप लगाए है कि रायपुर स्थित राजकीय कार्यकर्ता प्रायोजित प्रदर्शन करके सरकार और दिल्ही तक के पत्रकारों को भ्रमित करते रहते हैं. आश्चर्य की बात है कि इन पेशेवर प्रदर्शनकारियों ने राजस्थान के न्यायसंगत खदान प्रोजेक्ट को निजी ठेकेदारों के हित में होने का गलत प्रचार किए जा रहे हैं.

यहां तक की इन कहे जाने वाले कार्यकर्ता ने तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आला अधिकारियों पर ग्रामसभा नहीं करवाने जैसे कई गलत आरोप भी लगा दिए. इन पेशेवरों ने जंगल के विस्तार को लेकर भी गलत आंकड़ों का मायाजाल फैलाया है.