हेमंत शर्मा, इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों के शहर इंदौर में अधिकारियों की मनमानी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का सामने आया है, जहां पर कमर्शियल डायरेक्टर के 2 टर्न पूरे होने पर उन्हें उनके वास्तविक स्थान पर भेजना था, लेकिन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसा ना करते हुए उन्हें एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कमर्शियल और रेवेन्यू का प्रभार दे दिया।
दरअसल, कंपनी में पदस्थ मनोज झांवर लंबे समय से इंदौर में ही पदस्थ हैं। 1990 में असिस्टेंट इंजीनियर बतौर सारणी प्लांट में पदस्थ थे। इसके बाद उन्हें कंपनी ने अकाउंट डिपार्टमेंट में ले लिया। 2015 में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उन्हें कमर्शियल डायरेक्टर बनाया, जिसके बाद से वह लगातार दो बार कमर्शियल डायरेक्टर के पद पर बने रहे। कमर्शियल डायरेक्टर दो बार रहने के बाद उन्हें उनके पुराने पद पर वापस भेजने का नियम है, लेकिन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन पर मेहरबानी करते हुए इन्हें एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कमर्शियल और रेवेन्यू का प्रभार दे दिया।
रिटायर अधिकारी ने बताया नियम
पूरे मामले में विद्युत वितरण कंपनी के रिटायर अधिकारी जगत किशोर ठोबरे के मुताबिक एकाउंट डिपार्टमेंट और कमर्शियल डिपार्टमेंट का काम अलग-अलग होता है। कमर्शियल डिपार्टमेंट में कंपनी का रेवेन्यू कैसे बढ़ाया जाए। इस पर भी काम करना होता है। वहीं अकाउंट डिपार्टमेंट में कंपनी संबंधित अकाउंट को लेकर हिसाब किताब रखना होता है, लेकिन जब बिना ज्ञान वाले अधिकारी को इस तरह की पोस्ट पर बिठा दिया जाता है तो मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को नुकसान का भी सामना करना पड़ता है। कंपनी के अंदर कई सीनियर अधिकारी अभी मौजूद है।
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टेक्निकल डायरेक्टर बनाने के लिए भी वरिष्ठ अधिकारियों ने की थी जद्दोजहद
इससे पहले प्रमुख सचिव के रिश्तेदार को कंपनी में टेक्निकल डायरेक्टर बनाने के लिए आवेदन की डेट में हेराफेरी की गई थी। दरअसल, 22 सितंबर 2022 को निकाले गए एडवाइजमेंट में 1 सितंबर 2022 तक 60 साल के अंदर होने पर ही आवेदकों को आवेदन करने की अनुमति दी गई थी, ऐसे में वर्तमान चीफ इंजीनियर पुनीत दुबे का डेट ऑफ बर्थ के आधार पर वह 12 सितंबर 2022 को 60 साल से ऊपर के हो रहे थे, जिसके चलते एडवाइजमेंट में 1 सितंबर 2022 तक की डेट डाल दी गई। जिससे पुनीत दुबे 60 साल के अंदर के क्राइटेरिया में आ गए।
लगातार कंपनी में भ्रष्टाचार के आरोप लगते आ रहे हैं। इसके पहले आईपीडीएस योजना के तहत कंपनी में 500 करोड़ रुपए की योजना आई थी, जिसमें 200 करोड़ से ज्यादा के घोटाले के आरोप शिकायतकर्ताओं द्वारा कंपनी पर लगाए गए थे। इसी तरह सौभाग्य योजना में भी कई तरह के घोटाले के आरोप शिकायतकर्ताओं द्वारा लगाए जा रहे हैं। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के पास तक शिकायत पहुंचने के बावजूद भी शिकायतों पर किसी प्रकार से कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई। जबकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि किसी भी विभाग में अधिकारी को शिकायत आने पर वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करना है, लेकिन पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आला अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश को भी ताक पर रखकर अपनी मनमानी करते नजर आ रहे हैं।
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