अनमोल मिश्रा, सतना। भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज अपने बचपन के विद्यालय सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल, कृष्णनगर, सतना (मध्य प्रदेश) पहुंचे। 55 वर्ष बाद अपने पुराने स्कूल लौटने पर जनरल द्विवेदी का छात्रों, शिक्षकों और शहर के गणमान्य नागरिकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। जनरल उपेंद्र द्विवेदी की सुरक्षा के लिए इस अवसर पर विशेष इंतजाम किए गए थे, जिसमें पुलिस और मिलिट्री पुलिस का काफिला उनके साथ था। स्कूल पहुँचने पर उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और मंच पर गणमान्य व्यक्तियों के साथ आसन ग्रहण किया।

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स्कूल के अभिनंदन समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने इसी विद्यालय में कक्षा चौथी तक शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने की क्षमता उन्होंने यहीं से सीखी थी। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि उनके अंदर जो वीरता और राष्ट्रप्रेम की भावना है, वह स्कूल की शिक्षा और परंपराओं के कारण है। उन्होंने छात्रों से कहा कि बचपन में जो कुछ भी सीखा जाता है, वह जीवन भर साथ रहता है। थल सेना प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि देश सेवा केवल वर्दी पहनकर ही नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के रूप में भी देश निर्माण में लगातार काम करते रहने से होती है। उन्होंने देशवासियों से राष्ट्रप्रेम और देश निर्माण के लिए हमेशा कार्यरत रहने का आह्वान किया ताकि 2047 में विकसित भारत का सपना साकार हो सके। इस अवसर पर छात्रों और शिक्षकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, और जनरल द्विवेदी को स्कूल की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। जनरल द्विवेदी ने भी स्कूल के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कुछ विद्यार्थियों को सम्मानित किया।

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पत्रकारों से बातचीत में जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक बहुत ही सफल और कामयाब ऑपरेशन बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में तीनों सेनाओं के अलावा पूरा देश एकजुट हो गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका नाम पूरे देश को एक साथ जोड़ता है और यह भारत के पराक्रम का प्रतीक है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी आम नागरिक, यहाँ तक कि पाकिस्तान के नागरिक का भी नुकसान न हो, और सिर्फ आतंकवादियों को व उनके आकाओं को खत्म किया गया। उन्होंने बताया कि इस सफलता का कारण यह है कि हमने सैद्धांतिक और तकनीकी (टेक्निकल) रूप को मिलाकर यह लड़ाई लड़ी थी।

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