रायपुर। देश की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा लेने वाले एक फौजी ने अब पर्यावरण की रक्षा करने कमान संभाल ली है. जिसके बाद राजिम कुम्भ का आयोजन खटाई में पड़ सकता है. एक रिटायर्ड फौजी ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने राजिम कुम्भ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ब्रिगेडियर ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि संगम स्थल पर राजिम कुम्भ मेला के आयोजन की वजह से नदी के बहाव, आकार इत्यादि में परिवर्तन आ गया है. नदी को पाटा जा रहा है जो कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों का खुला उल्लंघन भी है. जिसका उल्लेख भी उन्होंने अपने पत्र में किया है. उन्होंने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि नदी में बगैर सड़क बनाए किस तरह से कुम्भ का आयोजन किया जा सकता है. ब्रिगेडियर यदु जिस दौरान सेना में पदस्थ थे उस दौरान 1984 में उनकी कंपनी ने हरिद्वार कुंभ के आयोजन के समय ऋषिकेश में 190 मीटर लंबा बेली पाॅटून ब्रिज गंगा नदी के उपर बनाए थे और सेना द्वारा बनाये गए इस ब्रिज में नदी के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं की गई थी. मेला समाप्ति के बाद सेना ने इसे वापस निकाल लिया था.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा त्रिवेणी संगम में प्रतिवर्ष राजिम कुम्भ का आयोजन किया जाता है, जिसके लिए हर साल मुरम डालकर नदी के बीचों बीच जाने के लिए अस्थाई रोड का निर्माण किया जाता है. कुम्भ के बाद मुरम को हटाया नहीं जाता है जिसकी वजह से नदी मुरम से पटती जा रही है. इस वजह से नदी कई धाराओं में विभक्त होते जा रही है. इसके साथ ही इस कुम्भ में लाखों लोग पहुंचते हैं जिनके लिए नदी के बीचों बीच अस्थाई शौचालयों का भी निर्माण किया जाता है. बताया जा रहा है कि बाद में वह मल गंदगी को वैसे ही छोड़ दिया जाता है जो कि नदी में जाकर मिल जाती है. जिसकी वजह से नदी का जल भी प्रदूषित हो रहा है.
ब्रिगेडियर यदु ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, एनजीटी, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी भेजकर नदी बचाने की गुहार लगाई है.
ब्रिगेडियर ने पत्र में यह लिखा है
इस विनय पत्र के माध्यम से हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि राजिम कुंभ मेला स्थल पर छत्तीसगढ़ की गंगा मानी जाने वाली महानदी आज मरणासन्न स्थिति में है। मेला स्थल पर महानदी की वास्तविक रूप रेखा, आकार, बनावट और बहाव को तोड़-मरोड़ दिया गया है तथा नदी के किनारों तथा तल को पाट दिया गया है। हम सभी जानते हैं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक नदी को जीवित प्राणी का स्थान दिया गया है। यह बताना अति आवश्यक है कि राजिम कुंभ स्थल पर महानदी पाटी जा रही है।
राजिम मेला स्थल पर दिनांक 21.12.2017 को रिकार्ड की गई जानकारी फेसबुक , यू ट्यूब, तथा ट्विट्टर, पर अपलोड की गई है । हमें पूरा विश्वास है कि माननीय मुख्यमंत्री जी इस रिर्काडिंग को देखने के बाद तुरंत आदेश प्रेषित करेंगे कि महानदी पाटने के प्रयासों को अविलम्ब रोका जाए तथा नदी को मूल रूप में वापस लाया जाए।
हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप शासन की एक उच्च स्तरीय टीम का गठन करें, जिसमें शासन के कृषि, जल संसाधन, सिचांई, लोक निर्माण तथा अन्य विभागों के विशेषज्ञ शामिल हों। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी पार्टियों के जन नेता, समाजसेवी संस्थाएं, राजिम-नवापारा के सर्व वर्ग निवासी तथा मीडिया भी जनचर्चा में सम्मिलित हों। यह टीम हमसे राजिम कुंभ स्थल पर जन चर्चा तथा अवलोकन करें। इस जनचर्चा को आधिकारिक अभिलेख बनाया जाए। तत्पश्चात् महानदी को अगले वर्ष 31 जनवरी से 13 फरवरी, 2018 के मध्य आयोजित कुंभ मेले से पहले महानदी को उसके वास्तविक तथा सच्चे प्रारूप में वापस लाया जाए जो आज से 12 वर्ष पूर्व थी। ऐसा आपसे अनुरोध है ।
हम सब ईश्वर पर विश्वास करते हैं, धर्म में आस्था रखते हैं तथा हर धर्म का सम्मान करते हैं। हमें कुंभ मेले के आयोजन से कोई आपत्ति नहीं है और ना ही इस पर कोई विवाद है किंतु इस उत्सव के चलते महानदी का पाटना हमें असहनीय है। मैंने तथा मेरी कंपनी ने सन् 1984 के हरिद्धार महाकुंभ के समय मुनि की रेती, ऋषिकेश में 190 मीटर लंबा बेली पाॅटून ब्रिज गंगाजी के उपर बनाया था और सेना द्वारा बनाये गए इस ब्रिज में नदी के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं की गई थी और इस पुल को सेना ने मेले के समापन के पश्चात् वापस निकाल लिया था।
महोदय, पेशे से मैं एक अनुभवी सैनिक तथा इंजिनियर हॅू और छत्तीसगढ का मूल निवासी हॅू। जिस तरह के अनाधिकृत निर्माण कार्य राजिम के संगम क्षेत्र में कराये जा रहे हैं, वह वास्तविक में गैर पेशेवराना है। ये जल में रहने वाले जीवों, नदी पर आश्रित पेशेवर किसान, नाविक, और स्थानीय नागरिकों तथा संपूर्ण प्रदेश के लिए घातक है। ये नदी के प्रचलन वाले क्षेत्रों के भूजल स्तर के भयानक गिरावट का भी कारण है। ये निर्माण छत्तीसगढ़ के काशी कहे जाने वाले आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र राजिम के पैरी-सोढुर-महानदी के संगम के लिए घातक है। याद रहे कि छत्तीसगढ़ के लोगों की इस संगम के प्रति बड़ी आस्था है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करके हमारे संगम को पहले की तरह बनायेंगे, यानि नदी के किनारे एवं बीच में बनी सड़को को तत्काल हटाकर महानदी के संगम को अपने प्राकृतिक स्वरूप में लायेंगे।
माननीय मुख्यमंत्री जी से हम विनम्र प्रार्थना करते है कि १० जनवरी २०१८ को शासन द्वारा गठित टीम तथा सम्बंधित पक्षों को जन चर्चा हेतु राजिम मेला स्थल पर प्रात ११ बजे उपस्थित रहने का कृपया आदेश करें ।
महोदय, आपकी नदियों के प्रति संवेदनशीलता से हम पूर्व परिचित हैं। आपने सदगुरू वासुदेव जग्गीजी के साथ सरकार का एम.ओ.यू. करके नदियों के प्रति अपनी उदारता एकदम स्पष्ट रखी है। केवल राजिम में ही नहीं वरन् कुछ अन्य स्थानों पर भी इसी तरह नदियों के साथ छेड़-छाड़ हुई है। आप उसपर भी स्वसंज्ञान लेते हुए तत्काल कार्यवाही करेंगे,ऐसा हमारा विश्वास है ।
मान्यवर हमारा यह उपक्रम पूरी तरह से गैर राजनैतिक है। अतः बिना किसी पूर्वाग्रह के एक देश के सेवानिवृत्त सैनिक का निवेदन आप स्वीकार करें।
शंकराचार्य ने भी किया था विरोध
2005 से राजिम में छत्तीसगढ़ सरकार के धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा कुम्भ का आयोजन कराया जा रहा है. यह आयोजन शुरु से विवादों में रहा है. देश के कई शंकराचार्यों और अखाड़ों ने भी यहां कुम्भ के आयोजन को लेकर अपनी आंखे टेढ़ी की थी. पुरी शंकराचार्य ने इसे धर्म के साथ खिलवाड़ भी बताया था.
पुरी पीठाधीश के जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा था कि राजिम का ये पांचवां कुंभ सरकार ने बना कैसे लिया? वेद-पुराणों में सिर्फ चार ही कुंभ हैं. मुझे बुलाने के समय आप लोगों के आमंत्रण में लिखा था, कुंभ कल्प है, इसलिए मैं आया. अगर पता होता आप लोगों ने इसे राजिम कुंभ का नाम दिया है, तो मैं यहां आता ही नहीं. लेकिन शंकराचार्यों की नाराजगी और विरोध के बावजूद यह राजनीतिक कुम्भ जारी रहा.