सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना के नए स्ट्रेन से बचने के लिए खास तैयारी की गई है. रायपुर में एम्स में 330 बेड की व्यवस्था की गई है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी है. मंत्री ने बताया कि भारत में कोरोना के नए स्वरूप मिलने पर इनको चिन्हांकित करने की जरूरत है. इसके फैलने की क्षमता 60 प्रतिशत ज्यादा है, लेकिन अभी कोई बहुत चिंता की बात नहीं है. वैज्ञानिक जानकारी अभी नहीं आई है, खासकर विदेश आने-जाने वाले लोगों को और ज्यादा निगरानी रखने की जरूरत है. यूके से लगे हुए जो देश है, उनकी जानकारी भारत सरकार उपलब्ध कराए. यूके के साथ अन्य देशों से भी जो लोग आ रहे हैं, इनकी जानकारी राज्यों को भी दें और विदेश यात्रियों की स्क्रीनिंग चालू कर दें.
छत्तीसगढ़ में कोरोना की तैयारी व जांच के दौरान 10 लोगों की जानकारी नहीं मिलने के सवाल पर मंत्री बोले कि एक की जानकारी मेरे पास थी कि एक व्यक्ति को ट्रेस नहीं किया गया. उसके लिए विभाग अपनी तरफ से पहल कर रहा है. अलग अस्पताल में रखने वाली बात नहीं है. यह कोई अलग संक्रमण नहीं है. यह कोरोना का ही वायरस है. हालांकि एम्स में 330 बिस्तरों की एक विंग तैयार कर ली गई है. विदेश यात्रा से लौटे लोगों में कोविड-19 वायरस पाए जाने पर भी उन्हें अलग रखने की व्यवस्था की गई है.
वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके फैलने की प्रवृत्ति ज्यादा है,ये वायरस कोरोना का ही एक परिवर्तित स्वरूप है. अभी ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि यह घातक होगा. जिनके उपचार के लिए उसी हॉस्पिटल में अलग वार्ड बनाकर ऐसे पेशेंट को रखने की व्यवस्था की जाएगी, हमने एम्स से बात की है वहां यूके से आने वाली मरीजों के लिए नया वेरिएंट है कि नहीं? अगर वह कोरोना पॉजिटिव पाए जाएंगे तो उनको अलग से रखने की बात है.
हमें यह देखना पड़ रहा है कि कहीं भी किसी भी अस्पताल में उपचार में कमी तो नहीं आ रही है? कुछ अस्पतालों से ऐसी सूचना मिल रही है, तो उन अस्पतालों की अलग से जांच कराई जाएगी. सभी जिलों के सीएमएचओ को कहा गया है कि ऐसे अस्पतालों की विशेष जांच कराई जाए और जहां ऐसे प्रकरण ज्यादा आ रहे हैं उन अस्पतालों पर जांच की जाए.
जीएसटी की राशि नहीं मिलना चिंता की बात
छत्तीसगढ़ में हमें उम्मीद है कि हमे जल्द से जल्द जीएसटी की राशि प्रदान की जाए. केंद्र सरकार ने तय किया है कि राज्यों को हर सप्ताह जीएसटी की राशि उपलब्ध कराते जाएंगे, हालांकि जो हमें 8 महीने पहले मिल जाना चाहिए था. वह हफ्ते में हमको मिलेगा. यह व्यवस्था जरूर चिंता की बात होती है कि एक बार में राशि इतनी नहीं आती है, जितनी आ जानी चाहिए.
राज्य के साथ सौतेला व्यवहार
धान के उठाव को लेकर मंत्री ने कहा कि केंद्र में बहुत ज्यादा जानकारी रखने वाले और अपने आप को बुद्धिमान बोलने वाले लोग है कि वे देश के हित में काम कर रहे, किसानों के हित में काम कर रहे हैं, यह कैसा किसानों के हित में काम करना है कि अब राज्य सरकार को वह कोटा ही नहीं बता पा रहे हैं कि कितना गठान उसना चावल और कितना गठान अरवा चावल भेजी जाए, इसलिए उठाव में दिक्कत आ रही है. यदि हमको यही नहीं मालूम है कि अरवा कितना लेंगे और उसना कितना तो हम कितना धान भेजेंगे, और धान नहीं भेजेंगे, तो हमको केंद्रीय भंडार में भेजना पड़ेगा तो ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे लगेंगे. दिल्ली की सरकार में जो बैठे है मंत्री अधिकारी तो इतनी सी बात भी नहीं समझ सकते. आप भार बढ़ा रहे है, राज्य के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार कर रहे हैं.