हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश में बारिश नहीं होने का असर पुलिस महकमे में भी नजर आ रहा है। उमस और गर्मी इतनी कि सवाल पूछने पर साहब भड़क रहे हैं और तो और लाल पीले भी हो रहे हैं। सवाल पूछने वाले पत्रकार पर ही साहब सवाल उठाने लगते हैं, जवाब देने की बजाय उसे ही धमकाने लगते हैं।
हम बात कर रहे हैं बुधवार को शराब कारोबारी अर्जुन ठाकुर को गोली मारने के मामले में हुई पुलिस प्रेस कान्फ्रेंस की। इंदौर पुलिस के कप्तान आशुतोष बागरी प्रेसवार्ता लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे थे। पुलिस का दावा है कि गोली कांड के फरार गैंगस्टर सतीश भाऊ और चिंटू ठाकुर को गिरफ्तार किया गया है।
हालांकि पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपियों ने खुद ही एनकाउंटर और प्रापर्टी पर बुलडोजर चलने के डर से विजयनगर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपियों ने फरारी के दौरान जहां-जहां रहे हैं वहां डर की वजह से सीसीटीवी कैमरे लगाकर रखे थे और उसकी निगरानी करते थे।
आरोपी गैंगस्टर की गिरफ्तारी के पुलिस के दावे पर जब लल्लूराम डॉट कॉम और न्यूज 24 के रिपोर्टर हेमंत शर्मा ने सवाल किया तो साहब भड़क उठे। उन्होंने उल्टा सवाल किया, इतनी इन्फॉर्मेशन राम जाने आपको कहां से पता चल गई है.. या तो आप मनगढ़ंत अपने मन से कयास लगा रहे हैं.. ये सारी चीजें है तो पूछताछ के बाद पता चलेगी.. ये बात हमें पता नहीं है और आपको पता है.. तो ये भी एक प्रश्न है कि आपको कैसे पता है ये चीज..। संवाददाता ने एनकाउंटर को लेकर भी सवाल किया तो साहब ने कहा कि तुम्हें किसने बताया और जब संवाददाता ने सूत्र का नाम बताने से इंकार किया तो एसपी साहब ने धमकी भरे लहजे में पूछा तुम्हारा नाम क्या है.. इसके साथ ही वे प्रेस कान्फ्रेंस से चले गए।
गिरफ्तारी पर कन्फ्यूजन!
गिरफ्तारी पर एसपी साहब खुद ही कन्फ्यूज नजर आए.. पहले उन्होंने कहा कि आरोपियों को भोपाल से गिरफ्तार किया गया.. फिर कहा कि भोपाल रोड से..
ऐसा नहीं होना चाहिए – आईजी
इस मामले में इंदौर आईजी से जब हमने बात करनी चाही तो उन्होंने साफ-साफ कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने घटना पर खेद जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए..मैं पता करवाता हूं।
लोकतंत्र और ईमानदार लोगों को दबा रहे- जीतू पटवारी
वहीं मामले में कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि ये माफियाओं को संरक्षित कर रहे हैं। सवाल जवाब हो रहें हैं तो इसका मतलब आपका तंत्र फेल है। पत्रकार लोकतंत्र के स्तम्भ हैं सरकार के नौकर नहीं हैं। ईमानदार लोगों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
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