रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का प्रथम सत्र 14 दिसंबर 2000 को प्रारंभ हुआ था और इन 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ विधानसभा के कुल 76 सत्र हुए, जिसमें कुल 773 बैठकें हुई और 77वां सत्र 18 नवंबर को पुराने भवन में प्रारंभ हुआ था और निरंतरता में 14 दिसंबर से नवीन विधानसभा में चल रहा, इस हिसाब से सेंटर सत्र नवीन भवन का पहला सत्र होगा। इन बैठकों में 18 नवम्बर तक कुल 3904 घंटे 55 मिनट चर्चा हुई और सबसे अधिक 17 सत्र चतुर्थ एवं पंचम विधानसभा की अवधि में हुए।
सबसे अधिक 182 बैठकें और सबसे अधिक 960 घंटे चर्चा भी द्वितीय विधानसभा की अवधि में हुई। इसी प्रकार इन सत्रों में 13 दिसंबर 2025 तक कुल 96,428 प्रश्नों की सूचनाएँंप्राप्त हुई। इन प्राप्त सूचनाओं में से 35,591 तारांकित एवं 30,459 अतारांकित प्रश्न ग्राह्य हुए और कुल 6209 प्रश्नों पर सदन में अनुपूरक प्रश्न पूछे गए। सबसे अधिक 22,892 प्रश्नों की सूचनाएं चतुर्थ विधानसभा की अवधि में प्राप्त हुई और सबसे अधिक 1607 तारांकित प्रश्नों पर द्वितीय विधानसभा की अवधि में अनुपूरक प्रश्न पूछे गए। कुल 592 विधेयक भी पारित किये गये।


यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अपने गठन से लेकर वर्तमान तक कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं और ऐसे उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जिनसे छत्तीसगढ़ विधानसभा की गरिमा में वृद्धि हुई है और देश में छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा होती है। जहां एक ओर प्रथम विधानसभा की अवधि में गर्भगृह में प्रवेश पर स्वयमेव निलंबन की कार्यवाही की सर्वत्र प्रशंसा होती है तो वहीं दूसरी ओर द्वितीय विधानसभा में नक्सल समस्या पर सदन की गोपनीय बैठक की भी सर्वत्र चर्चा होती है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ विधानसभा को यह गौरव प्राप्त है कि भारत के राष्ट्रपति ने देश में सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों को संबोधित किया और यही नहीं, छत्तीसगढ़ की विधानसभा को तीन राष्ट्रपति संबोधित कर चुके हैं।
विधानसभा परिसर के सौंदर्यीकरण की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किए गए। प्रथम विधानसभा की अवधि में महात्मा गांधी की प्रतिमा एवं अशोक स्तम्भ की स्थापना की गई। द्वितीय विधानसभा की अवधि में आडिटोरियम का उद्घाटन और सेंट्रल हाल का शिलान्यास किया गया। साथ ही डॉ . श्यामाप्रसाद मुखर्जी और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई और सेंट्रल हाल में देश एवं प्रदेश के महापुरुषों के तेल चित्रों का अनावरण भी किया गया।
नया राज्य होने के बावजूद विधानसभा ने पीठासीन अधिकारी सम्मेलन, चतुर्थ इंडिया एशिया रीज़न सीपीए कांफ्रेंस और लीगल ड्राफ्टिंग पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की वर्कशॉप का आयोजन कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की। साथ ही महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र भी यादगार रहा, जिसमें सभी सदस्यों ने एक समान गणवेश पहनकर सदन की कार्यवाही में भाग लिया। कोविड की चुनौतियों के मद्देनजर विधानसभा का सत्र आहूत करना चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन दो सीटों के बीच ग्लास पार्टीशन कर सत्र का सफल आयोजन किया गया और किसी एक दिन में सबसे लंबी बैठक करने का कीर्तिमान भी छत्तीसगढ़ विधानसभा को प्राप्त है। अविश्वास प्रस्ताव पर 18 घंटे 38 मिनिट चर्चा हुई और बिना भोजनावकाश स्थगित किए सभा की कार्रवाई निरंतर 21 घंटे चली।
छत्तीसगढ़ विधानसभा को जनोन्मुखी एवं में पेपर लेस बनाने की दृष्टि से विधानसभा के प्रश्नकाल की कार्यवाही का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर करना प्रारंभ किया गया और विधानसभा की कार्रवाई को विधानसभा की वेबसाईट पर भी अपलोड करना प्रारंभ किया गया। प्रश्नों की सूचना देने एवं प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रक्रिया भी ऑनलाइन प्रारंभ की गई।
1 नवंबर 2025 को राज्य की स्थापना जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा को अपना स्वयं का भव्य एवं विशाल भवन भी मिला, जिसका लोकार्पण भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस प्रकार 14 दिसंबर 2000 को राजकुमार कॉलेज के जशपुर हाल में अस्थायी रूप से निर्मित टेंट से प्रारंभ छत्तीसगढ़ विधानसभा का सफर जीरो प्वाइंट स्थित भवन से होते हुए नवा रायपुर के नवीन भव्य, विशाल एवं अत्याधुनिक भवन में 14 दिसंबर 2025 को प्रवेश किया और यह तारीख भी छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण दिन दर्ज करेगा। इस प्रकार यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की अब तक की संसदीय यात्रा उपलब्धियों से भरी हुई है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ विधानसभा का नाम पूरे देश में गर्व के साथ लिया जा सकता है।
लेखक - चन्द्रशेखर गंगराड़े, पूर्व प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा



