कोरोना-संकट से जूझ रहे पूरे देश के लिए छत्तीसगढ़ से अच्छी खबर है। अभी कुछ हफ्ते पहले तक सात राज्यों से घिरा यह प्रदेश देश के सर्वाधिक चुनौतिपूर्ण राज्यों की सूची में था, लेकिन अब थोड़े से ही समय में तमाम चुनौतियों पर विजय हासिल करते हुए कोरोना पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में कामयाब हो रहा है। पिछले एक हफ्ते के दौरान राज्य में जितने लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उससे कहीं ज्यादा लोगों ने इससे मुक्ति पाई।
देश के नक्शे में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण छत्तीसगढ़ में इस महामारी को नियंत्रित करने की चुनौतियां कहीं ज्यादा बड़ी थी। छत्तीसगढ़ की यही स्थिति राज्य में तेज संक्रमण दर का कारण भी थी। सात राज्यों के बीच छत्तीसगढ़ से होकर होने वाली आवाजाही ने वायरस को अनुकूलता प्रदान की। पहले ही गंभीर रूप से संक्रमित महाराष्ट्र के पड़ोसी होने की वजह से अपने सघन सांस्कृति-आर्थिक संबंधों को कारण छत्तीसगढ़ को भी चपेट में आना ही था।
देशभर में जितनी तेजी के साथ कोरना की दूसरी लहर उठी, छत्तीसगढ़ में भी वायरस ने उतनी ही तेजी से अपने पांव पसारे। यह तेजी यहां भी अप्रत्याशित ही थी। वायरस इतनी तेजी से फैला कि इससे निपटने के लिए संसाधन कम पड़ने लगे। संक्रमण की रफ्तार बढ़ते-बढ़ते लगभग 15000 मरीज प्रतिदिन तक जा पहुंची।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे देश में लगभग एक जैसी परिस्थितियां निर्मित हुई। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी होने लगी, आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं, जैसे रेमडिसिविर इंजेक्शन, की कमी होने लगी, आक्सीजन की किल्लत होने लगी, कोरोना-मरीजों के उपचार के लिए मेडिकल स्टाफ की कमी होने लगी। एक तरह से अफरा-तफरी का वातावरण निर्मित होने लगा। जगह-जगह लाकडाउन लगाने और कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बावजूद लोगों का हुजूम अस्पतालों, दवा-दुकानों पर नजर आ रहा था।
इस समय देश के दिगर राज्यों में जैसी गहमी-गहमी है, वैसी गहमा-गहमी छत्तीसगढ़ में नजर नहीं आती। ऐसा बेहतरीन कोविड-प्रबंधन के कारण संभव हो पाया है। इस समय छत्तीसगढ़ में रिकवरी दर 82.5 प्रतिशत हो चुकी है। प्रदेश में कोरोना की शुरुआत से अब तक 07 लाख 44 हजार 602 लोग पाजिटिव पाए गए हैं। इनमें से 06 लाख 14 हजार 693 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
कोविड-प्रबंधन का यह आंकड़ा भी गौर करने लायक है कि अब तक कुल संक्रमित मरीजों में से 04 लाख 88 हजार 988 मरीज होम आइसोलेशन में, और 01 लाख 25 हजार 705 विभिन्न अस्पतालों तथा कोविड सेंटरों में इलाज के बाद ठीक हुए हैं। आज की स्थिति में प्रदेश के अस्पतालों में बिस्तरों की कोई कमी नहीं है। रायपुर और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों में, जहां के अस्पतालों में अपने जिले के साथ-साथ आस-पास के अनेक जिलों के मरीजों का भी उपचार किया जा रहा है, अब पर्याप्त संख्या में आक्सीजन, आईसीयू, वैंटिलेटर समेत विभिन्न तरह की सुविधाओं वाले बिस्तर उपलब्ध हैं। मरीजों तथा उनके परिजनों को सही समय में बिस्तरों की उपलब्धता के बारे में सटीक जानकारी मिल सके, इसके लिए पोर्टल की शुरुआत शासन द्वारा की गई है।
राज्य ने अपने यहां उत्पादित आक्सीजन को ठीक तरह से प्रबंधित करते हुए न केवल यहां के मरीजों तक पहुंचाया है, बल्कि दूसरे राज्यों को भी छत्तीसगढ़ से आक्सीजन मिल रहा है। इस तरह आक्सीजन के मामले में यह एक सरप्लस राज्य है। होम आइसोलेशन के दौरान जिन मरीजों को आक्सीजन की आवश्यकता होती है, उनके लिए आक्सीजन आन व्हील जैसी योजना की शुरुआत राज्य के सबसे बड़े शहर रायपुर से की जा चुकी है। इसी तरह रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर रोक लगाने और हर जरूरतमंद मरीज के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों मे ही इसकी व्यवस्था की जा चुकी है।
यह सारा प्रबंधन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सीधी निगरानी में हो रहा है। वे हर रोज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। विभिन्न विभागों, नगरीय तथा स्थानीय निकायों को आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं, ताकि संक्रमण को शहरों से कस्बों और गांवों की ओर बढ़ने से रोका जा सके। यदि यह आगे बढ़ता भी है तो उससे व्यापक तैयारियों के साथ तुरंत निपटा जा सके।
दुनियाभर के विशेषज्ञों का यह मानना है कि जितनी तेजी से टेस्ट किए जाएंगे, कोरोना पर उतने ही प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाया जा सकेगा। ठीक इसके समानांतर तेजी से टीकाकरण भी किए जाने की आवश्यकता है। टीकाकरण की शुरुआती रणनीति के तहत सबसे पहले उन लोगों को सुरक्षित किया जाना था, जिनको या तो खतरा ज्यादा है, या फिर जो लोग अग्रिम मोर्चे पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन प्रति 10 लाख की आबादी पर 2069 टेस्ट किए जा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी यह संख्या 1430 है। राज्य की टेस्टिंग क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है। राज्य में वर्तमान में 31 शासकीय तथा 05 निजी लैब में टू-नाट जांच सुविधा उपलब्ध है। 07 शासकीय तथा 05 निजी लैब में आरटीपीसीआर की सुविधा है। रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक उपलब्ध है। इसके अलावा 04 नये शासकीय आरटीपीसीआर लैब महासमुंद, कांकेर, कोरबा एवं कोरिया में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रत्येक जिले में अतिरिक्त मशीनें उपलब्ध कराकर ट्रूनाट लैब की जांच क्षमता बढ़ाई जा रही है।
कोरोना से प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने के लिए टीकाकरण का काम तेजी से किया जा रहा है। हर रोज औसतन 2.13 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्रथम डोज देने के मामले में चौथे स्थान पर है, सिर्फ लद्दाख, सिक्किम और त्रिपुरा ही छत्तीसगढ़ से आगे हैं। राज्य में अब 18 वर्ष से अधिक आयु-वर्ग के लोगों के टीकाकरण की शुरुआत भी की जा चुकी है। अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक भी सही समय पर टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक सटीक रणनीति के तहत यह काम तेजी से किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में वायरस ने जितनी तेजी से पांव पसारे थे, उसे उतनी हो तेजी के साथ पीछे धकेला जा रहा है। छत्तीसगढ़ में रात गहराने से पहले ही अंधेरा छंटने लगा है। भोर होने लगी है।
-आईएएस तारन प्रकाश सिन्हा
read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें